जोताई और बोआई का काम हुआ पूरा
पोला पर्व कृषि प्रधान रहे छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार है। इस समय किसान अपने खेतों में जुताई-बोआई का काम पूरा कर चुके होते हैं। उनको फसल पकने का इंतजार रहता है। खेती में बैलों का मुख्य रोल रहता है। बैल की पोला पर्व में पूजा कर उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। अब मशीनी युग में हल-बैलों की उपयोगिता कम होने से त्यौहार के प्रति औपचारिकता अधिक हो गई है। इस साल मिट्टी के बैलों की कीमत 50 से 60 रुपए जोड़ी बिक रही है।
इस दिन से बेटी को तीज लाने की परंपरा
पोला पर्व पर भगवान भोलेनाथ की सवारी नादिया बैल की पूजा की जाती है। परंपरा यह भी है कि इस दिन से ससुराल गई बेटियों को तीज लाने जाते हैं। पोला के बाद तीज पर्व शुरू हो जाएगा है। वहीं तीज पर्व को लेकर उत्साह महिलाओं में अभी से देखा जा रहा है।