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निस्तारी के लिए भर चुके तालाब, 45 दिन के बाद सभी जलाशयों के गेट बंद, तांदुला में 9 फीट पानी घटा

बालोद सहित अन्य जिलों की तालाबों में पानी भरने के लिए चार जलाशयों से पानी छोड़ा गया था। तालाबों में पानी भरने के बाद जलाशयों के गेट बंद कर दिए गए हैं।

बालोदMay 17, 2024 / 04:29 pm

Chandra Kishor Deshmukh

बालोद सहित अन्य जिलों की तालाबों में पानी भरने के लिए चार जलाशयों से पानी छोड़ा गया था। तालाबों में पानी भरने के बाद जलाशयों के गेट बंद कर दिए गए हैं।

reservoir बालोद सहित अन्य जिलों की तालाबों में पानी भरने के लिए चार जलाशयों से पानी छोड़ा गया था। तालाबों में पानी भरने के बाद जलाशयों के गेट बंद कर दिए गए हैं। तांदुला से लगातार 45 दिन तक पानी छोड़ा गया। इन 45 दिनों में 9 फीट पानी कम हो गया है।

जलाशयों में वाष्पीकरण के लिए नहीं बचा पानी

गोंदली जलाशय में लगभग 26 दिनों तक निस्तारी के लिए पानी छोड़ा गया था। गोंदली जलाशय से 11 फीट पानी कम हो गया है। इसी तरह खरखरा व मटियामोती जलाशय में जल स्तर कम हुआ है। अब जलाशयों में वाष्पीकरण के लिए पानी 23 प्रतिशत बचाया जाता था, वह इस बार नहीं है। आने वाले मानसून से प्यासे जलाशयों को उम्मीद है। इस बार अच्छी बारिश हुई तो जलाशय भर जाएंगे। फिर से जलाशयों का लबालब होने में अच्छी बारिश जरूरी है। सभी जलाशय जिले के भूजल स्तर को बढ़ाने व किसानों के लिए अहम है।

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जाने किस जलाशय में कितना है पानी

जलाशय – जलभराव प्रतिशत में
तांदुला जलाशय – 14.7 प्रतिशत
गोंदली जलाशय – 7 प्रतिशत
खरखरा – 25 प्रतिशत
मटियामोती – 6 प्रतिशत

तांदुला से छोड़ा गया था एक अप्रैल को पानी

तांदुला जलाशय से सबसे पहले एक अप्रैल को पानी छोड़ा गया था, जो लगातार 45 दिनो तक चलता रहा। तांदुला से पानी छोड़ा गया था तो उस समय जलाशय में 23.10 प्रतिशत पानी था। पानी छोडऩे पर कुल 9 फीट पानी कम हो गया। यही हाल सभी जलाशयों का है।

गांवों में वाटर लेबल डाउन, बढ़ाने नदी में छोड़ा पानी

जिले में लगातार भू-जल स्तर नीचे जा रहा है। पीएचई के आंकड़े देखे तो इस साल भी जिले का भू-जल स्तर 9 फीट और नीचे चला गया है। जिले के कई गांवों में नदी के किनारे होने के बाद भी वाटर लेबल नीचे चला गया है। इन गांवों में वाटर लेबल बढ़ाने तांदुला नदी में पानी छोड़ा गया है। इन प्रभावित गांवों में एनीकट भी सूख गया था।

कल के लिए जल बचाना जरूरी

जिले में धीरे-धीरे जल संकट और ज्यादा विकराल रूप ले रहा है। हर हाल में हर व्यक्ति को जल बचाने व जल का सदुपयोग करने आगे आने की जरूरत है। लापरवाही जारी रही तो आने वाले दिनों में पानी की समस्या और गंभीर हो जाएगी।

जलाशयों के गेट बंद कर दिए गए हैं

सिंचाई विभाग के ईई पीयूष देवांगन ने कहा कि जलाशयों के गेट बंद कर दिए गए हैं। मांग के अनुरूप पानी जलाशयों से छोड़ा गया था। तालाबों में निस्तारी के लिए पानी भर गया है।

जागरुकता शिविर लगा रहे

पीएचई के ईई सुक्रांत साहू ने कहा कि जल बचाने व महत्व बताने गांव-गांव में जागरुकता शिविर भी लगा रहे हैं। लोगों को रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का उपयोग करने भी जोर दे रहे हैं। गंभीर बात है कि जिले में भू-जल स्तर 3 मीटर और नीचे चला गया है।

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