बांस से बने वस्तुओं की मांग सिर्फ बालोद ही नहीं बल्कि राजधानी रायपुर तक है। बांस से बनी सामग्रियों की मांग कितनी है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इन महिलाओं ने बीते साल कुछ माह में ही लगभग 2 लाख की लागत से बांस से विभिन्न वस्तुएं बनाई और समान भी बेच चुके हैं।
साथ ही अभी भी बहुत सारे ऑर्डर आ चुके हैं। कहा जाए कि इस कार्य से महिलाओं व इस गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति काफी सुधरी है। एक माह तक दी ट्रेनिंग, बांस से बनाई विभिन्न सामग्री
ग्रामीण आजीविका मिशन अधिकारी नितेश साहू ने बताया कि जिला प्रशासन ने इस गांव में जब दौरा करने गए थे, तब यहां बांस के सामग्री बनाने वालों को बांस से विशेष सामग्री बनाने पर जोर दिया। कोंडागांव, जगदलपुर से बांस से विभिन्न प्रकार के वस्तु बनाने वाले एक्सपर्ट बांस कला बोर्ड से बुलाए गए। यहां के लगभग 25 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। दो माह तक चले इस प्रशिक्षण के बाद यहां के लगभग 10 से 12 लोग खुद से विभिन्न वस्तु बांस से बना रहे हैं।
यहां कमार जाति के लोग अब बांस से कुर्सी, टेबल, डायनिंग टेबल, सोफा, फुलवारी, आकर्षक फूल व विभिन्न प्रकार के समान बना रहे हैं। इनकी सामग्रियों की जमकर खरीदारी हो रही है।