बालोद जिले के विभिन्न थानों में दर्ज नाबालिगों की गुमशुदगी की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अधिकांश मामले में बच्चे अपने परिजनों को बिना बताए पहचान वालों के साथ ही गायब होते हैं। कई गुमशुदगी के मामले की जांच के बाद सामने आया है कि नाबालिग लड़के-लड़कियां प्रेम प्रसंग के चलते घर से गायब हो जाते हैं।
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल में नोडल अधिकारी एएसपी हेडक्वार्टर सहित 7 अधिकारी हैं, जो कार्रवाई पर नजर रखते है। जिले में भी (स्पेशल पुलिस यूनिट) है। जिसके तहत महिला आरक्षक व उनकी टीम बच्चे के अपराध से जुडऩे की आशंका को देखते हुए काउंसलिंग करती है। भिक्षावृत्ति करने वालों बच्चों से पूछताछ करते हैं। ऐसे बच्चों की जानकारी निकाली जाती है जिन्हें कहीं से चोरी कर तो नहीं लाया गया। सेल हमेशा चाइल्ड लाइन के संपर्क में रहती है।
साल 2019 -20 को गुंडरदेही निवासी प्रार्थी ने बच्ची के कहीं चले जाने के संदर्भ गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। साइबर सेल की मदद से गुमशुदा के मोबाइल लोकेशन पता करने पर लोकेशन झालावाड़ कोटा राजस्थान से बरामद कर परिजन को सौंपा गया।
एएसपी बालोद डीआर पोर्ते ने बताया कि सालभर में गुमशुदगी के जितने भी मामले दर्ज हुए हैं, उस पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की। यही वजह है टीम वर्क से अब तक 600 से ज्यादा गुम नाबालिग लड़के-लड़कियों व अन्य लोगों को सकुशल ढूंढ कर परिजनों को सौंप दिया गया है।
माता-पिता हमेशा बच्चों से संवाद करें। उन्हें बात-बात पर डांटे नहीं, विश्वास में लें, ताकि दिल की बात साझा कर सके। छोटे बच्चों को अकेले सामान लाने नहीं भेजें। इसका फायदा बदमाश उठा भी सकतें है। बच्चे के सामने माता-पिता अभद्र व्यवहार न करें और न ही मारपीट। इससे घबराकर बच्चे अक्सर घर छोड़कर चले जाते हैं। हमेशा बच्चों को सुरक्षा में लेकर ही सोना चाहिए। बच्चों के संपर्क में रहे अन्य बच्चे क्या कर रहे है इसकी जानकारी लें और दोस्ताना व्यव्हार भी करें। बच्चों को मोबाइल की ज्यादा लत है तो जानकारी भी लें कही बच्चे गलत उपयोग तो नहीं कर रहे।