ऐसे लगे काजू के पेड़ वर्ष २०१५ में एक एनजीओ ने काजू के पेड़ किसानों को देकर बंजर भूमि पर लगवाए। वर्ष २०१९ से २०२०-२१ तक उद्यानिकी विभाग ने काजू के पेड़ किसानों को दिए, जिसे किसानों ने लगाया। आकड़ों गौर करें तो ३०० हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में जिले के सभी विकासखंड में पौधे लगाए गए हैं, जिसमें बैहर व परसवाड़ा तहसील क्षेत्र में सबसे अधिक पौधे लगाए गए। आधे से अधिक पौधे खत्म हो गए। शेष अभी भी है, जिनसे फल आ रहे हैं।
डेढ़ एकड़ में लगाए १४२ पौधे, ६० पेड़ तैयार उकवा क्षेत्र के किसान ओमेंद्र बिसेन ने ‘पत्रिकाÓ को बताया कि वर्ष २०२० में डेढ़ एकड़ में १४२ पौधे लगाए थे। वर्तमान में ६० पेड़ हैं। दो वर्ष से पेड़ में फल आ रहे हैं। उनका दावा है कि एक पेड़ से ३० से ३५ किग्रा फल निकलता है, जिसे तोड़कर वह दोस्त व रिश्तेदारों में बांट देते हैं, जो भुजकर या उबालकर खाते हैं। एक सवाल के जवाब में बताया कि पौधे लगाने के पहले तीन कार्यशाला में शामिल होकर इसे समझा। कोच्चि से काजू बोर्ड के डॉयरेक्टर कार्यशाला में बालाघाट आते थे। उस समय बताया गया था कि पेड़ से तैयार होने वाले फल से तेल निकलेगा, फिर काजू बनेगा और खूब मुनाफा होगा। अब ये सारी बाते हवा हवाई लगती है। बताया कि मुझे उद्यानिकी विभाग ने नि:शुल्क पौधे दिए थे। सिंचाई और फैसिंग का इंतजाम मैंने खुद किया।
उद्यानिकी व नाबार्ड की टीम का निरीक्षण किसानों की भोपाल में की गई शिकायत के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है। उद्यानिकी व नाबार्ड की टीम बैहर क्षेत्र के कुछ गांवों में पहुंची है। टीम किसानों से मिली और पेड़ों का निरीक्षण किया है। अब तक टीम के निरीक्षण में करीब एक हजार पेड़ सामने आए हैं। ऐसे में टीम का दावा है कि क्षेत्र के किसानों ने भोपाल जाकर जो १० हजार पेड़ की बात कही है, वह सही नहीं है। टीम के निरीक्षण पर जाने की पुष्टि सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग क्षितिज करहाड़े व डीडीएम नाबार्ड रोशन महाजन ने ‘पत्रिकाÓ से बातचीत के दौरान की है।