जानकारी के अनुसार जिले में वर्ष 1990 में नक्सलियों ने दस्तक दी थी। तब से लेकर आज तक बालाघाट जिले में नक्सलियों का मूवमेंट बना हुआ है। पिछले चार-पांच वर्षों में करीब 19 हार्डकोर नक्सली मारे गए। बावजूद इसके नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता नहीं छोड़ा। जिसके चलते अगस्त 2023 में मध्यप्रदेश सरकार ने नई आत्मसमर्पण नीति लागू की। जिसमें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को रोजगार, उद्यमशीलता के अवसरों को प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
रेडिया से होगा नीति का प्रसारण
मध्यप्रदेश की नक्सल आत्मसमर्पण नीति का रेडियो से प्रचार-प्रसार किया जाएगा। आइजी संजय सिंह ने बताया कि जंगलों में रहते हुए नक्सली रेडियो को ज्यादा सुनते हैं। रेडियो के माध्यम से नीति का प्रचार करने पर यह नक्सलियों तक आसानी से पहुंच सकता है। इस माध्यम से भी नक्सली के विकास की मुख्य धारा में जुडऩे के लिए प्रेरित होने की संभावना है।
बस्तर, गढ़चिरोली के नक्सली हैं सक्रिय
जिले में मौजूदा समय में करीब सैकड़ा भर नक्सलियों की मौजूदगी बनी हुई है। जिसमें बस्तर, गढ़चिरोली के ज्यादा नक्सली सक्रिय है। बालाघाट पुलिस अब इन नक्सलियों के परिजनों से संवाद करने का प्रयास करेगी। परिजनों को जहां आत्मसमर्पण नीति के बारे में जानकारी देंगे। वहीं किन्हीं कारणों से हिंसा का रास्ता अपना रहे परिवार के सदस्यों को विकास की मुख्य धारा में जोडऩे के लिए प्रेरित करेंगे।
इनका कहना है
मप्र की नक्सल आत्मसमर्पण नीति को लेकर नक्सलियों के परिजनों को जानकारी दी जाएगी। हिंसा का रास्ता अपनाने वाले नक्सलियों को विकास की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए प्रेरित करेंगे। इसके अलावा रेडिया के माध्यम से नीति का प्रचार-प्रसार भी करेंगे। बालाघाट जिले में बस्तर, गढ़चिरोली के ज्यादा नक्सली सक्रिय हैं।
-संजय सिंह, आइजी, बालाघाट जोन