बच्चों से अधिक स्कूलों की संख्या
जिले के कुछ ब्लॉक ऐसे हैं, जहां प्रवेशित बच्चों की संख्या से अधिक स्कूलों की संख्या हो गई है। खैरलांजी ब्लॉक में 142 प्राथमिक व 65 माध्यमिक कुल 207 स्कूल संचालित हैं। इनमें इस बार प्रवेशित बच्चों महज 96 ही हो पाई है। इसी तरह की स्थिति लालबर्रा और वारासिवनी ब्लॉक में देखने को मिलती है। लालबर्रा में 175 व वारासिवनी में 165 बच्चों का ही प्रवेश हो पाया है। जबकि यहां क्रमश: प्राइमरी व मीडिल स्कूलों की संख्या 252 व 231 है।
नर्सरी स्कूलों का भी नहीं सहारा
जिले में 06 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नर्सरी स्कूलों का सहारा भी नहीं मिल पा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के दस विकासखंडों में 1971 प्राथमिक व 788 मीडिल कुल 2759 स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। लेकिन इनमें 101 स्कूल ही ऐसे हैं, जिनमें नर्सरी से लेकर केजी वन व केजी टू की कक्षाएं लगाई जाती है। डीपीसी महेश शर्मा के अनुसार नर्सरी की कक्षाएं सिर्फ ऐसे इलकों के स्कूलों में लगाई जा रही है, जहां आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं है। इस तरह के करीब 101 स्कूलों में नर्सरी कक्षा में प्रवेश लिया जा रहा है।
तो बच्चों का बर्बाद होगा एक साल
शासन के नियमानुसार छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। आंगनवाड़ी में भी 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को ही बैठाया जाता है। 05 वर्ष पार करने वाले बच्चों के लिए पर्याप्त सरकारी स्कूलों में नर्सरी की कक्षाएं भी संचालित नहीं की जा रही है। 05 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर इन बच्चों को या तो निजी स्कूलों में प्रवेश लेना पड़ेगा या फिर सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए 06 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक वेट (प्रतीक्षा) करना पड़ेगा। बच्चों और पालकों के सामने असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
निजी स्कूलों को फायदा
शिक्षा विभाग के जानकारों की माने तो आयु संबंधी नियमों को लागू करने से सीधा फायदा निजी स्कूल संचालकों को मिल रहा है। सरकारी स्कूलों में नर्सरी की कक्षाएं नहीं है। लेकिन लगभग सभी निजी स्कूलों में नर्सरी से लेकर केजी की कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। अभिभावक अपने बच्चे का एक वर्ष का समय हरगिज बर्बाद नहीं होने देंगे। वे मजबूरन बच्चें का एडमिशन निजी स्कूल में करवाएंगे। ताकि उनका बच्चा शिक्षण कार्य से जुड़ा रहे।
वर्सन
शासन के नियमानुसार ही हम 06 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश नहीं दे सकते हैं। इस प्रावधान के बाद पहली कक्षा में नामांकन की संख्या कम होने की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। हम पत्राचार कर इस तरह की स्थिति से वरिष्ठों को अवगत कराएंगे।
महेश शर्मा, डीपीसी बालाघाट