बता दें कि थाना रमाला क्षेत्र के एक गांव में कक्षा तीन में पढ़ने वाली एक बच्ची के अभिभावकों ने स्कूल में ही पढ़ने वाले तीन सगे भाइयों पर गत 16 अगस्त को स्कूल में सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मामले में उन्होंने महिला शिक्षिका पर घटना को किसी को नहीं बताने के लिए बच्ची को धमकाने का आरोप लगाते हुए उपचार कराने के लिए पैसे देने का आरोप लगाया था। इसके बाद शिक्षिका को बीएसए ने निलंबित कर दिया था। वहीं पुलिस ने भी शिक्षिका का नाम मुकदमे में शामिल कर लिया था। जांच में दो छात्र के निर्दोष पाए जाने पर उनका नाम मुकदमे से निकाल दिया था। वहीं 12 वर्षीय एक छात्र को जेल भेज दिया गया था। बताया गया है कि शिक्षिका की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट ने गैरजमानती वारंट जारी किए हैं। शिक्षिका ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका निरस्त कर दी।
अब घटना के करीब तीन माह बाद बुधवार को पीड़िता बच्ची अपने पिता व वकील के साथ एएसपी के पास पहुंची और उसने शिक्षिका को क्लीनचिट देते हुए कहा कि गांव के ही एक व्यक्ति के कहने पर उसने शिक्षका का नाम लिया था। एसपी ने बच्ची का शपथ पत्र लेने से मना कर दिया और कहा कि नियमानुसार रेप के मामले में समझौता नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बच्ची के पिता व वकील को इस मामले में कोर्ट में ही शपथ पत्र जमा कराने की सलाह दी।