लाखों रुपये का बजट हुआ जारी शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक अमित राय जैन का कहना है कि सिनौली गांव में 15 फरवरी 2018 से शुरू किए गए खुदाई के काम में सैकड़ों लोग लगे हुए थे। इसमें अब तक काफी अहम चीजें उनको मिली हैं। अब एक बार फिर पुरातत्व विभाग ने इसके लिए तैयारी की है। लाखों का बजट जारी कर दिया गया है। अब देखना है कि किस सर्वेक्षण संस्थान को यहां पर खुदाई की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इससे पहले भारतीय पुरातत्व संस्थान नई दिल्ली ने यहां पर खुदाई का काम किया था।
खुदाई के ये बने कारण विश्व के अभी तक के मिले प्राचीन सभ्यताओं के शवाधान पुरास्थलों में सिनौली साइट सबसे अधिक महत्वपूर्ण और दुर्लभ साइट के रूप में सन् 2005 के उत्खनन में सामने आई थी। बरनावा में महाभारत काल का लाक्षाग्रह मिला था। इसके अलावा सिनौली में प्राचीन सभ्यता के सबूत और चंदायन में तांबे का मुकुट मिला था। भाजपा शासन काल में बागपत के इतिहास को बाहर लाने की जिम्मेदरी एएसआई पुरातत्व संस्थान लाल किला को ममिली। इसके बाद 15 फरवरी 2018 को काम शुरू कर दिया गया था।
जब धरती ने उगला इतिहास इसी साल सिनौली में खुदाई के दौरान रथ और शाही ताबूत मिला था। इसके साथ ही ताबूत में दफन योद्धा के शव के अवशेष भी मिले थे। साथ में ताम्रयुगीन तलवारें, ढाल, सोने व बहुमूल्य पत्थरों के मनके, योद्धा का कवच, हेलमेट आदि भी प्राप्त हुए थे। बताया गया था कि यह महाभारत काल के सबूत हैं। आगे की जांच के लिए इन्हें दिल्ली भेज दिया गया था और खुदाई का काम रोक दिया गया था। अब फिर से खुदाई शुरू होने के बाद बागपत की धरती से इतिहास का रहस्य बाहर निकलने वाला है।
शवों के साथ मिले थे पशुओं के कंकाल गौरतलब है कि बरनावा तथा सिनौली की खुदाई में काफी अहम चीजें मिल चुकी हैं। इसमें शवों के साथ पशुओं के कंकाल भी बरामद हुए थे। इतिहासकारों के अनुसार, मेसोपोटामिया की सभ्यता में शवों के साथ पशुओं को दफनाने का रिवाज था। इसके बाद बागपत को इस सभयता से भी जोड़कर देखा जा रहा हैं। खुदाई में नरकंकाल के साथ स्वर्ण तथा घड़े आदि भी मिल चुके हैं।