शहीद जवान के पिता कृपाल सिंह तंवर पूर्व पशु चिकित्सा अधिकारी रहे हैं। उनकी पोस्टिंग भोपाल में थी। वहां से रिटायर होने के बाद वे गांव में ही रह रहे थे। उनको एक ही बेटा महक सिंह तंवर 41 वर्ष था, जो 1998 में एयरफोर्स में भर्ती हुआ था। वर्तमान में वह भोपाल में 7 ट्रेटा यूनिट में तैनात था। हाल ही में उसकी पददोंत्ति जे डब्लू ओ पद पर हुआ था। वह उसी की पुणे ट्रेनिग कर रहा था। परिजनों का कहना है कि 17 जनवरी की सुबह उन्हें सूचना मिली कि ट्रेनिग के दौरान उसकी टावर से गिरकर शहीद हो गया। जिसके बाद शनिवार को उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव लाया गया। हिंडन एयरफोर्स स्टेशन के एयर कमाडर राजीव तलवार अपनी यूनिट के साथ उनके पार्थिव शरीर को लेकर गांव पहुंचे। तिरंगे में लिपटे शव के गांव में पहुंचते ही सारे गांव में गमगीन माहौल हो गया। यहां अंतिम दर्शन के बाद शव को श्मशान घाट ले जाया गया। जहां पर एयरफोर्स के जवानों के साथ ही गांव वालों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। एयरफोर्स के जवानों ने उन्हें अंतिम सलामी देकर विदाई दी। इस अवसर पर जवानों ने 21 गोलियों की सलामी दी। जवानों ने तिरंगे को उनके पिता को समर्पित कर दिया। उसके बाद उनके बड़े पुत्र अन्नत तंवर ने उन्हें मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया।
क्षेत्र के सुंहेड़ा गांव निवासी शहीद महक सिंह तंवर के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा कक्षा पांच का छात्र है, जबकि छोटा बेटा चार वर्ष का है। वह अभी एलकेजी में ही पढ़ रहा है। बड़े बेटे अनंत का कहना है कि वह फोर्स में नही जाना चाहता था। वह खिलाड़ी बनकर देश का नाम रोशन करना चाहता है।
शहीद महक सिंह के शव के गांव पहुंचने पर पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। उसकी अंतिम यात्रा में सारा गांव उमड़ पड़ा। ग्रामीणों का कहना था कि क्षेत्र की ये पहली घटना है, जब किसी जवान का शव तिरंगे में लिपट कर आया हो। इस घटना से दुखी लोगों ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ है। गांव वालों का कहना है कि वह पढ़ता बहुत था। दिन भर किताबो में ही लगा रहता था। गांव के लोगों को सदैव सम्मान करता था।