दरअसल, मामला बागपत जनपद की बागपत कचहरी का है। जहां पर ब्लॉक नंबर ए व 38 नंबर चेंबर है। यह चेंबर अधिवक्ता रामाकांत शर्मा को अलॉट किया गया है। उनके साथ यहां पर खट्टा पहलादपुर गांव के अधिवक्ता रणवीर चौधरी और नफीस अहमद भी प्रैक्टिस करते हैं। जानकारी के अनुसार अधिवक्ता नफीस अहमद ने बिना बताए नेपाली जमातियों की जमानत की पैरवी शुरू की थी। जमीयत उलेमा ने इसके लिए नफीस अहमद से संपर्क किया था। जिसके बाद नफीस उनकी पैरवी में जुटे थे।
उधर, इसकी जानकारी रामाकांत शर्मा और अधिवक्ता रणवीर चौधरी को लगी तो उन्होंने नफीस अहमद को चैंबर से अलग कर दिया और उसका नाम भी चैंबर से साफ कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने नोटिस चस्पा कर दिया है कि जमातियों और उनके हिमायतियों का चैंबर में प्रवेश वर्जित है। इस मामले में अधिवक्ता रणवीर चौधरी का कहना है कि उनके साथी ने पैरवी करने से पहले मशवरा नहीं लिया था। कोरोना काल में वे देश के साथ हैं और जिन लोगों को देश ने दोषी माना हो और उन पर मुकदमे दर्ज किए हैं, ऐसे लोगों की हमारे यहां कोई जगह नहीं है और ना ही हम उनकी पैरवी करेंगे।