रतनपुरा का है मामला
वाराणसी में चंदौली पड़ाव के रतनपुरा निवासी रमेश उर्फ बोदा छोटी-मोटी चोरी करता था। पिछले साल सिगरा क्षेत्र में चोरी के दौरान उसके बाएं पैर में चोट लग गई थी।
पुलिस ने भेजा था जेल
चोरी के दौरान ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया था। पुलिस ने प्राथमिक इलाज के बाद उसे कोर्ट में पेश किया। बोदा को न्यासिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। जेल में पैर का जख्म और बढ़ गया।
जेल प्रशासन ने मुख्यालय भेजा एक लाख का स्टीमेट
बोदा को जेल से जिला अस्पताल भेजा गया। वहां डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। जेल प्रशासन ने कागजी कोरम के बाद इलाज के लिए एक लाख रुपए का इस्टीमेट मुख्यालय भेज दिया।
आपरेशन से पहले हो गई बोदा की रिहाई
अभी मुख्यालय से बजट नहीं आया था। इसी बीच 25 अक्तूबर 2022 को लोक अदालत लगी। बोदा ने जुर्म कबूल कर लिया। इसके बाद मामूली जुर्माना लगाकर उसे छोड़ दिया गया। इस बीच उसके इलाज के लिए धनराशि भी स्वीकृत हो गई।
नहीं कर पाया ऑपरेश ने पैसे की व्यवस्था
जेल से छूटने के बाद बोदा ने काफी प्रयास किया लेकिन ऑपरेशन के लिए पैसा की व्यवस्था नहीं कर पाया। वहीं जेल से छूटने के कारण जेल प्रशासन ने भी किसी तरह की मदद से इनकार कर दिया।
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आपरेशन के लिए बोदा ने इस बार की चोरी
बोदा को जब कोई रास्ता नहीं मिला तो उसने ऑपरेशन के लिए जेल जाने का फैसला कर लिया। 13 जनवरी को उसने सिगरा क्षेत्र में फिर चोरी की। उसी दिन सिगरा पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल में उसने अफसरों को बताया कि इस दफा वह इलाज के लिए कारागार आया है। अब जेल प्रशासन नियमों के तहत उसका इलाज कराने में जुटा है।
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बोदा के मां ने अधिकारियों से मांगी बेटे की जिंदगी
जिला जेल अधीक्षक अरुण कुमार सक्सेना ने बताया बोदा की मां बेटे से मुलाकात के लिए पहुंची थी। उसने उनसे भी मुलाकात की। मिन्नत की कि उसका इलाज करा दिया जाए। वह सुधर गया था। बस इलाज के लिए चोरी कर जेल आया है। अधिकारी भी उसकी मदद की कोशिश में जुटे हैं।