भाजपा-सपा के लिए भीतरघात से निपटना मुश्किल
पिछले कुछ चुनाव पर गौर करें तो बीजेपी और सपा को लगातार भीतरघात का सामना करना पड़ा है। इसी के चलते दोनों ही दल लगातार हार का सामना करते रहे हैं। इस बार दोनों दलों में दावेदारों की संख्या दो गुना से अधिक हो गई है। टिकट किसी एक को ही मिलना है। ऐसे में भीतरघात का खतरा और बढ़ेगा।
टिकट नहीं मिला तो बीजेपी से बागी का उतरना तय
इस समय आजमगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष सीट के लिए सबसे अधिक दावेदार बीजेपी में हैं। जातीय समीकरण सवर्णों के पक्ष में है लेकिन पिछड़ी जाति के नेता भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं। पिछले चुनाव में पूर्व अध्यक्ष इंदिरा जायसवाल के पुत्र अभिषेक जायसवाल को टिकट नहीं मिला तो वे सपा के साथ खड़े हो गए थे। इस बार भी वे बीजेपी से टिकट चाहते हैं। टिकट न मिलने पर निर्दल मैदान में उतरने का एलान कर चुके हैं।
सपा के सामने खाता खोलने की चुनौती
नगर पालिका आजमगढ़ सीट पर सपा के सामने खाता खोलने की चुनौती है। वर्ष 2017 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ के सांसद थे। बाहुबली विधायक दुर्गा प्रसाद यादव अपने करीबी पद्माकर लाल वर्मा को टिकट दिलने में सफल रहे थे। दुर्गा आठ बार से इसी क्षेत्र के विधायक है लेकिन उनका प्रत्याशी चौथे स्थान पर पहुंच गया था।
2017 में सीएम योगी भी नहीं कर पाए थे करिश्मा
वर्ष 2017 में यूपी में बीजेपी की सरकार थी। बीजेपी प्रत्याशी अजय सिंह को जिताने के लिए खुद सीएम योगी मैदान में उतरे थे। उन्होंने शहर के डीएवी मैदान में सभा की थी। इसके बाद भी बीजेपी प्रत्याशी को निर्दल से भी कम वोट मिला था। चुनाव में अजय सिंह तीसरे नंबर पर थे। पहले और दूसरे स्थान पर निर्दल उम्मीदवार थे।
इस बार सीएम योगी की होगी अग्निपरीक्षा
2022 के निकाय चुनाव में सीएम योगी की अग्निपरीक्षा होगी। कारण कि सीएम ने हाल में हुए उपचुनाव में काम के नाम पर निरहुआ के लिए वोट मांगा था। लोगों ने वोट भी दिया। बीजेपी सदर विधानसभा में सपा को बड़े अंतर से हराने में सफल रही। नगरपालिका सीट भी इसी क्षेत्र में है। अब देखना दिलचस्प होगा कि सीएम और सांसद किस हद तक जनता का विश्वास जीत पाएं हैं।
अब तक दो बार बीजेपी को मिली है जीत
नगरपालिका अध्यक्ष सीट पर बीजेपी को पहली जीत वर्ष 1995 में मिली थी। बीजेपी की माला द्विवेदी अध्यक्ष चुनी गई थी। इसके बाद पार्टी को 2012 तक इंतजार करना पड़ा था। वर्ष 2012 में बीजेपी ने महिला के लिए सीट आरक्षित हुई तो इंदिरा जायसवाल को मैदान में उतारा और उन्हें जीत मिली।
बसपा का भी नहीं खुला अब तक खाता
आजमगढ़ सीट पर अब तक बसपा का खाता नहीं खुला है। बसपा ने चुनाव जीतने के लिए सारे दाव आजमाए लेकिन सब फेल रहे। पिछले कुछ वर्षों में बसपा का जनाधार गिरा है। लोकसभा उपचुनाव में बसपा का आधार वोट दलित कुछ 10 प्रतिशत तक बीजेपी के साथ खड़ा हुआ। इससे पार्टी की चुनौती इस चुनाव में और बढ़ गई है।
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निर्दल फिर बिगाड़ेंगे राजनीतिक दलों की गणित
निकाय चुनाव 2022 में निर्दल फिर सपा, बसपा और बीजेपी की गणित बिगाड़ेगे। पिछले चुनाव में शीला श्रीवास्तव निर्दल लड़कर चुनाव जीती थी। बाद में वे बीजेपी में चली गई। चुनाव करीब आने के साथ अब वे सपा से भी टिकट की दावेदारी कर रही है। अगर सपा से टिकट नहीं मिला तो इनका निर्दल लड़ना तय है।
वहीं पिछले चुनाव में सामाजिक संगठन भारत रक्षा दल ने हरिकेश विक्रम श्रीवास्तव को निर्दल उतारा था। उन्हें करीब दस हजार वोट मिले थे। वे दूसरे नंबर पर थे। इस बार भी उनका लड़ना तय है।