इस साल तमसा दूसरी बाद उफान पर है। जुलाई के बाद सितंबर के अंतिम संस्कार में हुई लगातार बारिश के बाद तमसा उफान पर है। नदी का पानी बाइपास बंधे तक भरा हुआ है। चालीस हजार से अधिक आबादी जलजमाव की समस्या से जूझ रही है। राजघाट पूरी तरह जलमग्न है। परिणाम है कि लोग शव के अंतिम संस्कार का प्रयास सड़क किनारे कर रहे है जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे है। परिणाम है कि शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है। इस मामले में जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद का कहना है कि जब भी प्राकृतिक आपदा आती है तो स्थानीय स्तर पर दिक्कते होती है। लोग धैर्य रखे। अंतिम संस्कार संबंधी जो समस्या सामने आयी है उसके निदान के लिए विरोध कर रहे लोगों से वार्ता कर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।