बता दें कि वर्ष 1996 के चुनाव के समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूर्वांचल के कई जिलों का दौरा किया था। उस समय अटल जी वाराणसी से कार से चलकर जौनपुर होते हुए आजमगढ़ पहुंचे थे। अटल जी रैली में करीब दो घंटे देर से पहुंचे। उन्हें सुनने के लिए जजी मैदान में लाखों की भीड़ जमा थी। चिलचिलाती धूप में हर कोई पसीने से तरबतर था लेकिन अटल जी को सुनने की चाह में मैदान में जमें थे।
अटल जी आये तो भीड़ उत्साहित हो उठी और नारेबाजी करने लगी जबकि अटल जी के चेहरे पर थकान साफ झलक रही थी और वे अपने दर्द को रोक नहीं पाए। उन्होंने संबोधन शुरू करते ही कहा कि अब मेरी उम्र ढल रही है मै जवान नहीं रहा । मैं चाहता था आपके बीच समय से पहुंचू लेकिन क्या करू सड़क ने पहुंचने नहीं दिया। मैं तो इतनी लंबी यात्रा के बाद भी हैरान हूं मुझे समझ नहीं आया कि गड्ढ़ा सड़क में है या सड़क गड्ढे में बना दी गयी है।
फिर क्या था मैदान में हंसी के फौव्वारे छूट पडे़े। उस समय अटल जी ने लोगों को सड़क पर काम का आश्वास दिया। अटल जी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने 24 अक्टूबर 1998 को स्वर्णिम चर्तुभुज योजना की शुरूआत की। इसके बाद में गांव मार्गों को सड़क से जोड़ने के लिए वर्ष 2000 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का शुभारंभ किया। अटल जी की इसी योजना ने गांव के लोगों को कीचड़ और धूल भरे रास्ते से निजात दिलाया। आज भी लोग सड़क परियोजना के लिए अटल जी को याद करते हैं।
अस्सी वर्षीय राम नारायण सिंह व 70 वर्षीय लालसा कहते हैं कि उनका सौभाग्य था कि उन्हें अटल जी के सानिध्य में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ। अटल जी के रैली में वे व्यवस्था देख रहे थे। पूर्वांचल की सड़कों ने अटल जी को काफी आहत किया था। यही वजह है कि उन्होंने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में इसपर सर्वाधिक ध्यान दिया।