राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि 2 करोड़ की भूमि अगर 18.5 करोड़ में खरीदी गई है तो इस पर संशय तो होगा ही। जांच के बाद ही सच सामने आयेगा। उन्होंने कहा कि दान में जो पैसा आया है वह रामलला का है और इस पर उनका ही पूरा अधिकार है। किसी प्रकार उसका दुरुपयोग करना उचित नहीं है।
हनुमान गढ़ी के पुजारी राजू दास ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर विषय है। खजाने में जमा धनराशि को रामभक्तों ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए दिया था। अगर बिचौलिये इस पैसे को खा रहे हैं तो यह दुर्भाग्य है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह से मांग करता हूं कि इस मामले में सीबीआई जांच हो। इतना ही नहीं राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा जहां कहीं भी जमीन खरीदी गई है, उन सभी जमीनों के सत्यता की जांच की जाए। आरोप सिद्ध होने पर दोषियों से धन की रिकवरी की जाए और सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
अयोध्या भूमि विवाद- 18 मार्च को ही 8 करोड़ में खरीदा गया था एक और जमीन का टुकड़ा
विरोध के लिए मिला 100 करोड़ का ऑफर : महंत परमहंस दास
तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा कि गुरुवार सुबह सात बजे दो व्यक्ति पहुंचे और मुझे ट्रस्ट और बीजेपी का विरोध करने के लिए 100 करोड़ का ऑफर दिया। जब मैं नहीं माना तो आप और कांग्रेस की जीत पर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने तक का प्रलोभन दिया, लेकिन मैंने कहा कि मैं एक संत हूं। मेरे लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है। इसके बाद वह दोनों चले गये। महंत ने कहा कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को इन लोगों ने खरीद लिया है, जिसके बाद उनके अनुयायी ट्रस्ट और बीजेपी के विरोध में भी जुट गए हैं।
5 फरवरी 2020 को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट गठन किया गया था। ट्रस्ट में अयोध्या के संतों को शामिल न किए जाने से नाराजगी भी रही है। इस बीच संतों को मानने के लिये कई प्रयास किये गए, लेकिन अभी तक संत समाज पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। अब जमीन विवाद सामने आने के बाद एक बार फिर संत ट्रस्ट से नाराज हैं लेकिन, कई हिन्दू संगठनों से जुड़े होने के कारण खुलकर सामने नही आ रहे हैं।