ये है पूरा मामला
धन्नीपुर गांव में प्रस्तावित मस्जिद निर्माण के लिए आवंटित की गई जमीन पर दो बहनों ने अपना हक जताया था। दोनों बहनों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी। अब इसी याचिका पर प्रशासन ने अपना जवाब तैयार करते हुए कहा है कि दोनों बहनों ने जिस जमीन पर अपना मालिकाना हक जताया है वह जमीन धन्नीपुर की ना होकर शेरपुर जाफर गांव की है। प्रशासन का कहना है कि सुनवाई के दिन इसके साक्ष्य न्यायालय के समक्ष पेश किए जाएंगे।
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दरअसल राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया था उसके बाद अयोध्या में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए सरकार की ओर से धनीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन दी गई थी 26 जनवरी को मस्जिद बनाने वाली इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने यहां पौधारोपण करते हुए ध्वजारोहण किया था और निर्माण की शुरुआत कराई थी। इसी बीच दोनों बहनों ने हाई कोर्ट में एक वाद दायर कर दिया जिसमें उन्होंने दावा किया कि जमीन उनकी है लेकिन बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी राजेश कुमार पांडे ने स्पष्ट करते हुए बताया कि धनीपुर में आवंटित जमीन विवादित नहीं है उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली की दो महिलाएं जिस जमीन पर अपना हक जता रही हैं वह जमीन धन्नीपुर की ना होकर शेरपुर जाफर गांव की है। उन्होंने यह भी बताया कि इसके पूरे प्रमाण प्रशासन के पास है जिन्हें न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा।जानिए कौन है दोनों बहनें
दिल्ली की रहने वाली रानी कपूर पंजाबी और रमा रानी पंजाबी दोनों बहने हैं। बुधवार को इन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि उनके माता-पिता हिंदुस्तान पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान पंजाब से भारत आए थे। जब वह फैजाबाद यानी अयोध्या पहुंचे तो यहीं पर बस गए थे। बाद में उनके पिता को नजूल विभाग में नौकरी भी मिली थी। दोनों बहनों ने बताया कि उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी को उस समय 1560 में मिलते थे। बताया की पांच साल के लिए धन्नीपुर गांव में लगभग 28 एकड़ जमीन का पट्टा भी उन्हें दिया गया था। दोनों बहनों के अनुसार जिस जमीन का पट्टा उन्हें मिला था बाद में वह जमीन उनके पिता के नाम से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गई थी हालांकि 1998 में एसडीएम ने उनका नाम रिकॉर्ड से हटा दिया था। दोनों बहनों का कहना है कि एसडीएम के आदेश के खिलाफ उनकी मां ने लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी। बाद में एडिशनल कमिश्नर ने उनके पक्ष में फैसला दिया, यह अलग बात है कि चकबंदी के समय एक बार फिर से इस जमीन पर विवाद हो गया था। तब बंदोबस्त अधिकारी के सामने केस दायर किया गया। इस पर फैसला होना अभी बाकी है। याचिकाकर्ता की मानें तो सरकार ने इसी जमीन का 5 एकड़ हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया है और सरकार के इसी फैसले के खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में वाद दायर किया है। अब प्रशासन ने हक जताने वाली दोनों बहनों के दावे को नकार दिया है।