किस आधार पर पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल कर रहे हैं यह दावा अयोध्या में मंदिर मस्जिद मामले जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर नई जानकारी देने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने ब्रिटिश काल की पुरानी फाइलों पुरातत्व खुदाई की समीक्षा और प्राचीन संस्कृत पुस्तकों और सामग्रियों के हवाले से यह बताने की कोशिश की है कि अयोध्या में विवादित स्थल पर भगवान राम का मंदिर मौजूद था जिस पर बाद में मस्जिद बनाई गई किशोर कुणाल की इस किताब की प्रस्तावना पूर्व प्रधान न्यायाधीश जीबी पटनायक ने लिखी है जिसमें उन्होंने लिखा है कि किताब को लिखने वाले लेखक ने अयोध्या के इतिहास को नया आयाम दिया है और सही तथ्यों को स्थापित किया है जो आम धारणा और कई इतिहासकारों के मतों के विपरीत है ।
बाबरी मस्जिद के बारे में क्या कहता है इतिहास
अयोध्या के विवादित स्थल पर 6 दिसंबर सन 1992 को गिराए गए विवादित ढांचे के बारे में इतिहास में यही दर्ज है की मस्जिदनुमा इस ढांचे को भारत के पहले मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर सन 1527 में बनवाया गया था और मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा था सन 1940 के दशक के पहले इस मस्जिद को उर्दू में जन्म स्थान की मस्जिद और हिंदी में मस्जिद ए जन्मस्थान भी कहा जाता था हिंदू धर्म के लोग भगवान श्रीराम की जन्म भूमि के रूप में स्वीकार करते रहे हैं वही मीर बाकी ने इस ढाँचे का नाम बाबरी मस्जिद रखा था जिसे मुस्लिम धर्म के लोग मस्जिद के नाम से पहचानते थे ।
आखिर कौन है किशोर कुणाल सन 1972 में गुजरात कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी रह चुके किशोर कुणाल गृह मंत्रालय में ओएसडी के पद पर रह चुके हैं और अयोध्या में सन् 1992 में विवादित ढांचा गिराए जाने के पूर्व सन 1990 में अयोध्या मामले में आधिकारिक रुप से जुड़े रहे | सेवानिवृत होने के बाद किशोर कुणाल के एस डी संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति रहे हैं जिसके बाद आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने बिहार धर्मादा बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में पद संभाला वर्तमान में यही उनकी पहचान है आपको बता दें कि किशोर कुणाल का अयोध्या से पुराना नाता रहा है अयोध्या के अमावां मंदिर ट्रस्ट से जुड़े रहने के कारण अक्सर किशोर कुणाल आयोध्या आते रहे हैं और अयोध्या के संत व् धर्माचार्यों महन्तों के बीच किशोर कुणाल की अच्छी पहचान है |