19 दिसम्बर को लखनऊ में होने वाली इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की बैठक के बाद शाम 4.30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी जिसमें मस्ज़िद की डिज़ाइन का ख़ुलासा किया जाएगा। बैठक में ट्रस्ट के सदस्यों के अतिरिक्त आर्किटेक्ट्स भी शामिल होंगे। जो सदस्य व्यक्तिगत तौर पर बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे, उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जोड़ा जाएगा। बैठक में मस्जिद का खाका पेश किया जाएगा। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड के मुताबिक, इस परिसर में मस्जिद और शोध संस्थान के अलावा मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल, सार्वजनिक भोजनालय और कुतुबखाना यानी आधुनिक पुस्तकालय भी बनाने की योजना है।
मस्जिद का आकार गोलाकार होगा। इस पर परियोजना के मुख्य वास्तुकार प्रोफेसर एसएम अखतर ने बताया कि मस्जिद में एक समय में दो हजार लोग नमाज अदा कर सकेंगे। अख्तर ने कहा कि नई मस्जिद पुरानी बाबरी मस्जिद से भी बड़ी होगी, लेकिन ढांचा उसी की तरह होगा। परिसर के मध्य में अस्पताल होगा। पैगंबर ने 1400 साल पहले जो सीख दी थी उसी भावना के अनुरूप मानवता की सेवा की जाएगी।
अखतर ने बताया कि परिसर के अंदर मल्टीस्पेशिलिटि अस्पताल बनेगा। यह महज कंक्रीट का ढांचा नहीं होगा बल्कि मस्जिद की वास्तुकला के अनुसार इसे तैयार किया जाएगा। इसमें 300 बेड की स्पेशलिटी इकाई होगी और डॉक्टर मरीजों का निःशुल्क इलाज करेंगे। उन्होंने कहा कि मस्जिद का निर्माण इस तरह से होगा कि इसमें सौर ऊर्जा के निर्माण की भी व्यवस्था की जा सकेगी। साथ ही सामुदायिक रसोई में आसपास के गरीबों के लिए दिन में दो बार भोजन भी परोसा जाएगा।