scriptजब कोर्ट के फैसले से ही राममंदिर बनना है तो भाजपा को समर्थन क्यों : आचार्य सतेन्द्र दास | Acharya satendra das Special Interview On Navya Ayodhya and Ram Mandir | Patrika News
अयोध्या

जब कोर्ट के फैसले से ही राममंदिर बनना है तो भाजपा को समर्थन क्यों : आचार्य सतेन्द्र दास

मिशन 2019 की तैयारियों में जुटी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गले की फांस बन गया है

अयोध्याJun 09, 2018 / 03:34 pm

अनूप कुमार

पत्रिका

साक्षात्कार

अयोध्या. मिशन 2019 की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गले की फांस बन गया है। हिंदूवादी संगठन और संत समाज लगातार इस बात का ताना दे रहे हैं कि भाजपा को समर्थन सिर्फ इसलिए दिया गया था कि पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी तब कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की दिशा में कुछ काम होगा। लेकिन, मोदी सरकार के 4 साल के कार्यकाल में भी राम मंदिर निर्माण नहीं हो पाया। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। साधु-संतों का कहना है कि कोर्ट के फैसले से ही मंदिर बनना है तो भाजपा का समर्थन क्यों करें। कोई भी सरकार होगी वह कोर्ट के आदेश का पालन करेगी। इस मुद्दे पर पेश है राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास से पत्रिका संवाददाता अनूप कुमार की खास बातचीत-
मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल और अयोध्या के विकास पर आपकी क्या राय है ?

-अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। फिलहाल, केंद्र और उप्र सरकार संतों की नाराजगी को दूर करने में जुटी है। अयोध्या के विकास से जुड़ी तमाम योजनाएं और नव्य अयोध्या प्रोजेक्ट को पूरा किए जाने की बात की जा रही है। अयोध्या के विकास को लेकर गंभीरता दिखाई गयी है। सरयू घाट से लेकर अयोध्या के कुंडों और नगर के विकास संबंधी योजनाएं अगर यह धरातल पर आती हैं तो निश्चित रुप से अयोध्या को एक नया स्वरूप प्राप्त होगा ,लेकिन सवाल यही है कि यह योजनाएं धरातल पर कब उतरेंगी।
अयोध्या में जो भी कार्य हो रहे हैं क्या साधु-संत समाज इससे संतुष्ट है ?

अभी दो दिन पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के संतों से मुलाकात की है। उन्होंने सरयू महोत्सव से लेकर अयोध्या के कुंडों और रामायण सर्किट योजना को लेकर बड़ा वादा किया है। उनका कहना है कि जल्द ही इन सभी योजनाओं पर कार्य शुरू होगा। नव्य अयोध्या प्रोजेक्ट के जरिए पुरानी अयोध्या के अलावा एक नया शहर बसा कर इस पौराणिक शहर को एक नया स्वरूप प्रदान किया जाएगा। यह सभी योजनाएं आध्यात्मिक नगरी को एक नई पहचान देगीं। लेकिन, सवाल वही है सिर्फ योजनाएं बनाने से काम कैसे चलेगा, जब तक इन योजनाओं पर काम ना हो। धरातल पर काम दिखे तभी साधु-संत भी संतुष्ट होंगे और जनता भी।
योगी सरकार से साधु-संतों की क्या अपेक्षा है ?

केंद्र की मोदी सरकार अब लगभग अपना कार्यकाल पूरा करने को है। चार साल बीत चुके हैं। लेकिन अयोध्या में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। योगी सरकार भी डेढ़ साल से अधिक का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। योगी ने अयोध्या में दीपावली कार्यक्रम के अलावा कुछ भी ऐसा नहीं किया जिससे कहा जाए कि भाजपा ने अयोध्या के लिए कुछ किया है। योजनाओं की घोषणा से काम नहीं चलेगा। देश भर का हिंदू समाज और साधु संत समाज चाहता है अयोध्या का सर्वांगीण विकास हो। जिन योजनाओं की घोषणा बड़े-बड़े मंचों से हुई है उन्हें जमीनी स्तर पर लाने में भी नेता और मंत्री उतनी ही गंभीरता दिखाएं। जितनी गंभीरता उन्होंने अपने बयान में दिखाई है। गंभीरता से योजनाओं को धरातल पर लाया जाए तभी अयोध्या त्रेतायुग की अयोध्या की तरह दिखेगी। यही सरकारों से साधु समाज की अपेक्षा है।
राममंदिर निर्माण के संबंध में भाजपा से बड़ी अपेक्षा थी। इस बारे में क्या कहना चाहेंगे ?

मोदी सरकार के 4 साल के कार्यकाल में भी राम मंदिर निर्माण नहीं हो पाया। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। जब कोर्ट के फैसले से ही मंदिर बनना है तो भाजपा का समर्थन क्यों करें। कोई भी सरकार होगी वह कोर्ट के आदेश का पालन करेगी ही।

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