ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि bs4 ओर bs6 नॉर्म्स में किस तरह का फर्क है और इन्हें क्यों बदला जाता है तो ऐसे लोगों को आज हम बताने जा रहे हैं कि BS6 एमिशन नॉर्म्स bs4 ( Emission Norms ) नॉर्म्स की तुलना में काफी सख्त है और यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं या कहें कि bs4 नॉर्म्स की तुलना में काफी कम नुकसान पहुंचाते हैं और कार्बन एमिशन नॉर्म्स में काफी कम होता है।
यही वजह है कि 1 अप्रैल साल 2020 से भारत में पूरी तरह से bs6 नॉर्म्स को लागू कर दिया गया है। इन नॉर्म से सभी वाहनों को अपडेट किया जा रहा है। ज्यादातर ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अपने टू व्हीलर और फोर व्हीलर वाहनों को bs6 नॉर्म्स के हिसाब से अपडेट भी कर लिया है वहीं कुछ कंपनियां ऐसी हैं जिनके कुछ प्रोडक्ट अभी तक bs6 नॉर्म्स के हिसाब से अपडेट नहीं किए गए हैं। बीएस4 की तुलना में bs6 नॉर्म्स में NOx का लेवल पेट्रोल इंजन के लिए 25 पर्सेंट और डीजल इंजन के लिए 68 पर्सेंट कम है।
BS6 और BS4 इंजन में फर्क BS6 एमिशन नॉर्म्स अपेक्षाकृत सख्त हैं। बीएस4 की तुलना में इसमें NOx का लेवल पेट्रोल इंजन के लिए 25 पर्सेंट और डीजल इंजन के लिए 68 पर्सेंट कम है। इसके अलावा डीजल इंजन के HC + NOx की लिमिट 43 पर्सेंट और पीएम लेवल की लिमिट 82 पर्सेंट कम की गई है। इस टारगेट को पूरा करने के लिए बीएस6 कम्प्लायंट इंजन में मॉडर्न टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जाता है।