मंगलवार को लखनऊ में की गई प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने पहले ही तैयार हो रहे महागठबंधन पर सवाल उठाए, लेकिन खुद भी उसमे शामिल होने पर शर्त रख दी। उन्होंने पहले हमला बोलते हुए कहा कि वह (विपक्ष) महागठबंधन बनाने में देरी क्यों कर रहे हैं। आखिर उन्हें किसका डर है। कहीं सीबीआई का डर तो नहीं। वहीं उन्होंने आग समझौता पेश करते हुए कहा कि वे मुझे बुलायें, मुझसे बात करें। हमें 50 % सीटें चाहिये, भाजपा को हटाने के लिये। हम साथ हैं और उनके (विपक्ष) के साथ रहेंगे, लेकिन पचास प्रतिशत सीट चाहिये, करें शामिल।
शिवपाल के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में सवाल है कि यदि शिवपाल को वाकई को गठबंधन में शामिल किया जाता है कि तो आखिर सपा-बसपा के सीटों के बंटवारे पर इसका क्या असर पड़ेगा। क्या अखिलेश और मायावती, शिवपाल यादव के ऑफर पर ध्यान देंगे और क्या सीटों में वो कांप्रोमाइस करेंगे?