scriptये है सबसे बड़ा जैन तीर्थ, इसे देखे बिना अधूरा माना जाता है जीवन | Patrika News
धर्म/ज्योतिष

ये है सबसे बड़ा जैन तीर्थ, इसे देखे बिना अधूरा माना जाता है जीवन

जैन तीर्थों के राजा सम्मेद शिखर को स्वर्ग का द्वार कहा जाता है। जैसे हिन्दुओं में वैष्णों देवी, मुस्लिमों में मक्का और सिक्खों में अमृतसर तीर्थ का महत्व है वैसे ही इस मंदिर शृंखला का महत्व है। इस पवित्र तीर्थ की ये खासियत जानकर हैरान रह जाएंगे आप…
 

Dec 17, 2022 / 04:48 pm

Sanjana Kumar

sammed_shikhar_teerth_stahal_of_jain.jpg

 

भोपाल। जैन धर्म में सम्मेद शिखर(sammed shikhar) को सबसे प्रमुख और बड़ा तीर्थ स्थान माना जाता है। इस पवित्र स्थान की महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जैन धर्म के सभी तीर्थों में इसे (sammed shikhar) सर्वश्रेष्ठ और तीर्थों का राजा कहा गया है। जिसने इसे नहीं देखा उसका जीवन अधूरा माना गया है। जैन धर्म शास्त्रों के मुताबिक जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों के साथ ही कई संतों और मुनियों ने यहां मोक्ष प्राप्त किया है। यही कारण है कि इस (sammed shikhar) तीर्थ स्थल को सिद्ध क्षेत्र कहा जाता है।

ऊंचे पर्वत पर बसी है मंदिर शृंखला (sammed shikhar)
झारखंड के गिरिडीह जिले में मधुबन क्षेत्र में ऊंची पहाड़ी पर स्थित यह (sammed shikhar) तीर्थ जैन धर्म के दिगंबर मत का प्रमुख तीर्थ है। इसे (sammed shikhar) पारसनाथ पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। यह देश में न केवल धार्मिक बल्कि प्राकृतिक, और ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। समुद्र तल से यह 520 फीट ऊंचा है। वहीं 9 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है। खूबसूरत प्राकृतिक नजारों, हरियाली से आच्छादित यह तीर्थ स्थल प्रदूषण मुक्त है। गगनचुंबी मंदिरों की शृंखला (sammed shikhar) भक्तों को बेहद आकर्षित करती है। शांत माहौल, प्राकृतिक नजारे यहां आने वाले भक्तों को भक्ति और प्रेम के बंधन में बांध लेते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि यह (sammed shikhar) तीर्थ स्थल अहिंसा और शांति का संदेश देता है।

 

पहली बार इन्होंने की थी प्रार्थना (sammed shikhar)
‘सम्मेद शिखर’ यानि ‘समता का शिखर’ (sammed shikhar) जैन तीर्थ एक संरक्षित तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि इस (sammed shikhar) तीर्थ की भाव सहित प्रार्थना-अर्चना करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसीलिए कहा भी गया है कि ‘एक बार बंदे जो कोई, ताही नरक पशुगति नहीं होई।’ लाखों श्रद्धालु इस (sammed shikhar) महान तीर्थ की प्रार्थना करके अपना जीवन धन्य कर चुके हैं। कहा जाता है कि हर भव्य जीव की यह इच्छा होती है कि वह इस तीर्थ के दर्शन करने एक बार जरूर यहां पहुंचे। विशाल दुर्गम पहाडिय़ों में बसे इस (sammed shikhar) तीर्थ की सर्वप्रथम वंदना का श्रेय सगर चक्रवर्ती जी को जाता है। यह द्वितीय तीर्थंकर भगवान अजीतनाथ के शासनकाल में हुए।

 

सृष्टि की अद्भुत रचना (sammed shikhar)
जैन धर्म में प्राचीन धारणा है कि सृष्टि रचना के समय से ही सम्मेद शिखर (sammed shikhar) और अयोध्या, इन दो प्रमुख तीर्थों का अस्तित्व रहा है। यानि जबसे सृष्टि है, तभी से इनका अस्तित्व भी है। इसीलिए इसे (sammed shikhar) जैन समाज का ‘अमर तीर्थ स्थल’ भी कहा जाता है। प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि यहां पर तीर्थंकरों और तपस्वी संतों ने कठोर तपस्या कर मोक्ष की प्राप्ति की है इसी का परिणाम है कि जब सम्मेद शिखर (sammed shikhar) तीर्थयात्रा शुरू की जाती है, तो हर तीर्थयात्री का मन तीर्थंकरों का स्मरण कर अपार श्रद्धा, आस्था, उत्साह और खुशी से भर जाता है।

एक बार दर्शन से मिलता है मोक्ष (sammed shikhar)
जैन धर्म शास्त्रों में लिखा है कि अपने जीवन में सम्मेद शिखर (sammed shikhar) तीर्थ की एक बार यात्रा जरूर करनी चाहिए। मान्यता है कि एक बार जिसने यहां यात्रा कर ली, मृत्यु के बाद उस व्यक्ति को कभी एक पशु के रूप में जन्म नहीं लेना पड़ता और न ही नरक की पीड़ा झेलनी पड़ती है। शास्त्रों में यह भी लिखा है कि जो व्यक्ति सम्मेद शिखर (sammed shikhar) आकर पूरे तन-मन की निष्ठा से भक्ति करता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इन बंधनों से 49 जन्मों तक मिलती है मुक्ति (sammed shikhar)
माना जाता है कि जब यहां (sammed shikhar)भक्त तीर्थंकरों को स्मरण कर उनके द्वारा दिए गए उपदेशों, शिक्षाओं और सिद्धांतों का शुद्ध आचरण के साथ पालन करते हैं, तो उन्हें इस संसार के सभी जन्म-कर्म के बंधनों से अगले 49 जन्मों तक मुक्ति मिल जाती है।

जंगली जानवरों से नहीं डरते श्रद्धालु (sammed shikhar)
इस (sammed shikhar) क्षेत्र की पवित्रता और सात्विकता का ही प्रभाव है कि यहां पाए जाने वाले जंगली जानवर शेर, बाघ आदि का व्यवहार हिंसक नहीं देखा जाता। इस कारण तीर्थयात्री यहां बिना किसी भय के यात्रा करते हैं। कहा जाता है कि यही कारण है कि प्राचीन समय से कई राजा, आचार्य, भट्टारक, श्रावक आत्म-कल्याण और मोक्ष प्राप्ति की भावना से तीर्थयात्रा के लिए विशाल समूहों के साथ यहां (sammed shikhar) आए और तीर्थंकरों की उपासना, ध्यान और कठोर तप कर सके।

इन्हें हुई मोक्ष की प्राप्ति (sammed shikhar)
जैन नीति शास्त्रों में वर्णन है कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ अर्थात् भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर मोक्ष की प्राप्त किया। 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी में मोक्ष की प्राप्ति की। 22वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ ने गिरनार पर्वत और 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया। शेष 20 तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर में ही मोक्ष की प्राप्ति की। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ ने भी इसी तीर्थ में कठोर तप और ध्यान कर मोक्ष प्राप्त किया। इसीलिए भगवान पाश्र्वनाथ की टोंक इस शिखर (sammed shikhar) पर स्थित है।

जीवन के अर्थ बदल सकती है यात्रा
जैन मुनियों का मानना है कि हर समाज हर धर्म में तीर्थ का महत्व है। हिन्दुओं में वैष्णो देवी, इस्लाम में मक्का-मदीना, सिख में अमृतसर… वैसे ही जैन समाज में सम्मेद शिखर जी की यात्रा का महत्व है। तीर्थों की यात्राएं जीवन के अर्थ बदल सकती हैं। उनका मानना है कि जब आप इस पर्वत (sammed shikhar) की प्रार्थना करने से लाखों-करोड़ों उपवासों का फल प्राप्त होता है।

सम्मेद शिखर जी मे टोटल 25 टोंक
सम्मेद शिखर (sammed shikhar) जी मे टोटल 25 टोंक है। चौबीस तीर्थंकर की है व एक गौतम गणधर की। 25 टोंको में से 17 टोंको के चरण काले वर्ण के है व 8 टोको मे श्वेत वर्ण के है, जो चार तीर्थंकर सम्मेद शिखर (sammed shikhar) से मोक्ष नही गए उनके चरण श्वेत वर्ण के है। पर्वत पर केवल दो ही टोंक ऐसी है जहॉ से समस्त टोंको के दर्शन होते है। 10वे शीतल नाथ जी, 14वे अनंत नाथ जी इन दो भगवान की टोंक से परिक्रमा लगाने पर सभी टोंको के दर्शन होते है। सम्मेद शिखर (sammed shikhar) से वर्तमान मे हुंडावसर्पिणी काल के दोष के कारण ही बीस तीर्थंकर ही शाश्वत भूमि से मोक्ष गए है, जबकि भविष्य काल मे यहॉ से पूरे 24 तीर्थंकर ही मोक्ष जाएगे, इसी कारण यहॉ पूरे 24 तीर्थंकर की टोंक बनी हुई है।

ऐसे पहुंच सकते हैं यहां
अगर आप ट्रेनमार्ग से पारसनाथ जाने की योजना बना रहे हैं, तो पारसनाथ स्टेशन पर उतरना पड़ेगा। स्टेशन से सम्मेद शिखर 22 किलोमीटर दूर है। यदि आप हवाई मार्ग से आते हैं तो, आपको रांची एयरपोर्ट उतरना होगा, फिर यहां से आगे आप सड़क मार्ग और रेल मार्ग का उपयोग कर पारसनाथ पहुंच सकते हैं। रांची से आप टैक्सी लेकर पारसनाथ जा सकते हैं। वहीं धनबाद से यह 60 किमी दूरी पर स्थित है।

Hindi News/ Astrology and Spirituality / ये है सबसे बड़ा जैन तीर्थ, इसे देखे बिना अधूरा माना जाता है जीवन

ट्रेंडिंग वीडियो