ज्योतिषाचार्य नीलेश शास्त्री के अनुसार केतु ग्रह एक प्रकार से स्वरभानु राक्षस के सिर का धड़ है। समुद्र मंथन के समय जब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर स्वरभानु राक्षस का सुदर्शन चक्र से सिर धड़ से अलग कर दिया था, तब धड़ का हिस्सा केतु और सिर का हिस्सा राहु बन गया था। केतु छाया ग्रह है। इसके धड़ पर कोई रत्न या तारा विराजमान रहता है। जिससे रहस्यमय प्रकाश प्रकाशित होता है।
कौन है केतु ग्रह
केतु को दिग्पाल भी माना जाता है। नक्षत्र लोक केतु लोक माना जाता है। केतु का अस्त्र मूसल और जीवनसंगिनी चित्रलेखा है। सवारी गिद्ध है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार केतु ग्रह उल्टी दिशा में चलता है। केतु ग्रह शुभ और अशुभ आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक का प्रभाव माना जाता है।
केतु ग्रह के उपाय
1. केतु ग्रह की शांति के लिए मंदिर में साफ-सफाई करनी चाहिए।
2. भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करवाने से केतु ग्रह की शांति होती है।
3. इस ग्रह की शांति के लिए केतु मंत्र का जप करवाना अच्छा होता है।
4. ओम स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम: केतु मंत्र का जाप करें।