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अनंत पूजा में भगवान को लगाएं ये भोग, भूलकर भी न खाएं नमक, जानें पूरी पूजा विधि और व्रत कथा

Anant Puja bhog: भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इसलिए इस तिथि को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं सौभाग्य की रक्षा और सुख-ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। जबकि पुरुष विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यह व्रत रखते हैं। आइये जानते हैं अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि, कथा और क्या भोग लगाना चाहिए …

जयपुरSep 17, 2024 / 12:53 pm

Pravin Pandey

Anant Puja bhog

अनंत पूजा विधि, भोग और मंत्र

अनंत चतुर्दशी महत्व

Anant puja bhog aur anant raksha sutra mahatv: मीरजापुर के पुरोहित कमलेश त्रिपाठी के अनुसार अनंत चतुर्दशी आस्था का पर्व है। इस दिन भगवान की पूजा अर्चना से दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख समृद्धि का संचार होता है। परम्परानुसार इस दिन भगवान के अनंत रूप की पूजा कर बांह पर 14 गांठों वाला रक्षा सूत्र यानी अनंत सूत्र बांधा जाता है।
इन 14 गांठों का महत्व यह है कि, इस दिन भगवान विष्णु ने 14 लोकों को रचा था। इतना ही नहीं इसे रचने के बाद संरक्षक और पालक के तौर पर जिम्मेदारी निभाने के लिए 14 रूप भी धरे। इस वजह से अनंत प्रतीत होने लगे और इस तिथि को उनके अनंत रूप की पूजा की जाने लगी।

अनंत सूत्र की 14 गांठें इनका प्रतीक

अब बताते हैं इन चौदह गांठों के बारे में, ये गांठे भूलोक, भुवलोक, स्वलोक, महलोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल, और पताल लोक का प्रतीक हैं।

अनंत चतुर्दशी व्रत पूजा विधि (Anant Chaturdashi Vrat Puja Vidhi)

  1. इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  2. इसके बाद कलश स्थापना कर, कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से बने अनंत की स्थापना करें।
  3. इसके आगे कुमकुम, केसर और हल्दी के रंग से बनाया हुआ कच्ची डोर का 14 गांठों वाला अनंत रखें।
  4. भगवान विष्णु के अनंत रूप का ध्यान कर उन्हें रोली, मौली, चंदन, फूल, अगरबत्ती, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग) अर्पित करना चाहिए, सभी वस्तुओं को चढ़ाते समय “ऊँ अनन्ताय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
  5. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान को खीर का भोग जरूर लगाएं और तुलसी का पत्ता इसमें जरूर डालें।
  6. इसके बाद हे वासुदेव, इस अनंत संसार रूपी महासमुद्र में डूबे हुए लोगों की रक्षा करो और उन्हें अपने ध्यान करने में संलग्न करो। अनंत रूप वाले प्रभु तुम्हें नमस्कार है, प्रार्थना करें।
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6. इसके बाद यह भगवान अनंत की प्रार्थना पढ़ें


नमस्ते देवदेवेशे नमस्ते धरणीधर।
नमस्ते सर्वनागेंद्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।
न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि।
यानीह कर्माणि मया कृतानि।।
सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व।
प्रयाहि तुष्ट: पुनरागमाय।।
दाता च विष्णुर्भगवाननन्त:।
प्रतिग्रहीता च स एव विष्णु:।।
तस्मात्तवया सर्वमिदं ततं च।
प्रसीद देवेश वरान् ददस्व।।
7. प्रार्थना के बाद अनंत चतुर्दशी की कथा सुनें और आरती गाएं।

8. इसके बाद पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांध लें।

9. इस रक्षासूत्र को बांधते समय इस मंत्र का जाप करें


अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।
अनन्तरूपे विनियोजितात्मामाह्यनन्तरूपाय नमोनमस्ते।।
10. इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान करें।

11. जो लोग सिर्फ पूजा कर रहे हैं, वो भोजन कर सकते हैं, लेकिन भोजन नमक रहित हो, जबकि जो व्रत रख रहे हैं वो पूर्णिमा को भोजन करें, व्रत तोड़ने की सामग्री में नमक न रहे। बाद में नमक का सेवन कर सकते हैं।
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अनंत चतुर्दशी व्रत कथा (Anant Chaturdashi Vrat Katha)


अनंत चतुर्दशी व्रत कथा के अनुसार प्राचीन काल में सुमन्तु नाम के ऋषि थे, उनकी शीला नाम की एक बेटी थी। शीला सुशील और गुणी थी। समय आने पर सुमन्तु ऋषि ने उसका विवाह कौण्डिन्यमुनि से कर दिया।

घटनाक्रम के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को शीला ने अनंत चतुर्दशी का व्रत किया और भगवान अनंत की पूजा करने के बाद अनंतसूत्र अपने बाएं हाथ पर बांध लिया। भगवान अनंत की कृपा से शीला के घर में सुख-समृद्धि आ गई और उसका जीवन सुखमय हो गया।

कालांतर में किसी बात पर कौण्डिन्यमुनि को शीला पर क्रोध आ गया। इससे गुस्साए कौण्डिन्यमुनि ने शीला के हाथ में बंधा अनंतसूत्र तोड़कर आग में डाल दिया। इसके दुष्प्रभाव से उनका सुख-चैन, ऐश्वर्य-समृद्धि, धन-संपत्ति आदि सभी नष्ट हो गए और वे बहुत दु:खी रहने लगे।

एक दिन अत्यंत दु:खी होकर कौण्डिन्यमुनि भगवान अनंत की खोज में निकल पड़े। तब भगवान ने उन्हें एक वृद्ध ब्राह्मण के रूप में दर्शन दिए और उनसे अनंत व्रत करने को कहा।


कौण्डिन्यमुनि ने विधि-विधान पूर्वक अपनी पत्नी शीला के साथ श्रृद्धा और विश्वास से अनंत नारायण की पूजा की और व्रत किया। अनंत व्रत के प्रभाव से उनके अच्छे दिन फिर लौट आए और उनका जीवन सुखमय हो गया।


सिर्फ इस उपाय से भी कर देंगे सब इच्छा पूरी

मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाना चाहिए और इसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालने चाहिए। जो व्यक्ति व्रत नहीं कर पा रहा है, सिर्फ यह अनंत चतुर्दशी उपाय करने से भी भगवान की कृपा उसे मिलती है और उसकी सारी समस्या दूर कर देते हैं।

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