पंडितों का कहना है कि चूंकि दोनों ही ग्रहण भारत में नहीं दिखेंगे, इसलिए इस ग्रहण के प्रभाव और सूतक, नियम आदि मान्य नहीं होंगे। ऐसे में दैनिक, धार्मिक क्रिाकलापों में कोई बाधा नहीं आएगी। पंडितों का कहना है कि जहां ग्रहण दिखाई देते हैं, वहीं सूतक मान्य है। बता दें कि पितृपक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हो रही है जो 2 अक्टूबर तक चलेंगे।
दृश्य पर्व होता है ग्रहण, जहां दिखेगा वहीं सूतक
पितृपक्ष पखवाड़े में पड़ने वाले दोनों ही ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देंगे, इसलिए इसका न तो कोई असर पड़ेगा न ही इसका सूतक आदि मान्य किया जाएगा। सभी धार्मिक और दैनिक कार्य निर्विघ्न होंगे। इसलिए इन दोनों ही ग्रहण का भारत में कोई असर नहीं रहेगा। ग्रहण को दृश्य पर्व माना गया है, जहां (Pitru Paksha Grahan 2024) ग्रहण दिखाई देता है, वहीं उसका सूतक और प्रभाव मान्य किया जाता है।
Pitru Paksha Grahan 2024: अटलांटिक, मध्य-पूर्व अफ्रीका, यूरोप व अमेरिका में दिखाई देंगे दोनों ग्रहण
ज्योतिषाचार्य पंडित जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि भाद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा को लगने वाला खंडग्रहास सूर्य ग्रहण भाद्रपद नक्षत्र और मीन राशि पर होगा। यह ग्रहण अटलांटिक, पश्चिम हिंद महासागर, मध्यू पूर्व अफ्रीका, यूरोप, अमरीका आदि में दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण सूर्येादय के बाद होने के कारण दिखाई नहीं देगा। दूसरा ग्रहण अश्विन कृष्ण अमावस्या 2 अक्टूबर को रहेगा। यह कंकणाकृति ग्रहण होगा, यह भी भारत में दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका के आधे भाग, अटलांटिक के कुछ भाग, जॉर्जिया में दिखाई देगा। यह ग्रहण हस्त नक्षत्र, कन्या राशि में होगा। दोनों ही ग्रहण भारत में नहीं दिखेंगे, इसलिए (Pitru Paksha Grahan 2024) इसके सूतक, नियम आदि मान्य नहीं होंगे। लेकिन एक पखवाड़े में दो ग्रहण शुभ नहीं माने जाते हैं। दुनिया में इसके परिणाम दिखाई देंगे।
18 सितंबर से प्रारंभ होगा पितृपक्ष
पितरों के प्रति श्रद्धा का पर्व श्राद्ध पक्ष इस बार 15 दिन का रहेगा। श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हो रही है। 2 अक्टूबर को पितृ मोक्ष अमावस्या है। इस दिन सर्वपितृ पूजन का महत्व माना है।
Pitru Paksha Grahan 2024: पितृपक्ष की तिथियां
प्रतिपदा: 18 सितंबर द्वितीया: 19 सितंबर तृतीया: 20 सितंबर चतुर्थी: 21 सितंबर पंचमी: 22 सितंबर षष्ठी-सप्तमी: 23 सितंबर अष्टमी : 24 सितंबर नवमी: 25 सितंबर दशमी: 26 सितंबर एकादशी: 27 सितंबर द्वादशी : 29 सितंबर त्रयोदशी : 30 सितंबर चर्तुदशी : 1 अक्टूबर महत्व: श्राद्ध से केवल अपनी व पितरों की ही तृप्ति नहीं होती, अपितु जो व्यक्ति विधिपूर्वक यथाशक्ति अन्न, जल, धन से श्राद्ध करता है वह ब्रह्मा से लेकर घास तक समस्त प्राणियों को संतृप्त कर देता है।
फल प्राप्ति: विधिपूर्वक श्राद्ध करने से श्राद्धकर्ता की आयु, संतान, यश, मोक्ष, आरोग्यता, बल, धन, धान्य, स्थिर सुख रूपी मनोकामनाएं पितृ कृपा से निश्चित ही पूर्ण होती है।