ये भी पढ़ेः दिन के अनुसार किस दिशा में यात्रा शुभ, दोहे से जानें आज किस डायरेक्शन में दिशाशूल कहा जाता है कि इस महीनें दान, धर्म का अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता हैं। इस महीनें में बड़े-बड़े पर्व-त्योहार जैसे- धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी आदि आते हैं। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास में गणेश जी, विष्णु-लक्ष्मी, धनवंतरि, गोवर्धन पर्वत, छठ माता, सूर्यु देव के साथ ही कार्तिकेय स्वामी की भी पूजा जरूर करनी चाहिए।
यह भी कहा गया हैं कि यह मास सेहत के लिए बहुत ही खास माना गया है। इस मास में बदलते मौसम के बीच का समय होने से सेहत सबंधी परेशानी बढ़ने लगती है। यह माह तप और व्रत का भी है। इस माह में भगवान की भक्ती और पूजा अर्चना करने से मनुष्य की सारी इच्छाएं पूर्णं होती हैं।
दीपदान से कभी न खत्म होने वाला पुण्य
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास में सबसे खास काम दीपदान करना होता है। इस महीने में मंदिर, तुलसी, आंवले का पेड़, नदी, पोखर, कुए, बावड़ी और तालाब के किनारे दीपदान किया जाता है। इससे कभी न खत्म होने वाला पुण्य प्राप्त होता है। ये भी पढ़ेः ये 5 पक्षी नहीं देवता हैं साक्षात, आपके भी घर पर दिखे तो समझें आज से शुभ दिन शुरू खान-पान का दें ध्यान
डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि अभी ठंड शुरू हो जाएगी। इन दिनों में खान-पान का अत्याधिक ध्यान देना चाहिए। उन्होनें यह भी कहा कि खान-पान में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए, जो शरीर को ठंड से लड़ने की ताकत देती हो। पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से बीमारियां भी दूर होती हैं। इस पावित्र महीने में तीर्थ स्थानों पर स्नान करनें से पुण्य की प्राप्ती होती है। अगर हम ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिल जाता है।
प्रकट हुए थे औषधियों के देवता
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि अश्विन महीने की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा पर देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमारों और अमृत देने वाले चंद्रमा की पूजा होती है। ताकि कार्तिक महीने में सेहत संबंधी परेशानीयों का सामना न करना पड़े। इसके 12 दिन बाद औषधियों के जनक यानी धन्वंतरि की पूजा का दिन होता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश और औषधियां लेकर प्रकट हुए थे। इनकी पूजा से आरोग्य और लंबी उम्र प्राप्त होती हैं। ये भी पढ़ेः जानिए कब है अहोई अष्टमी, जान लें पूजा विधि और शुभ संयोग संयम से बढ़ती है इच्छा शक्ति
डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास के दौरान कम बोलना चाहिए। और मन पर संयम रखना चाहिए। कहा जाता है कि कार्तिक महीने में सूर्योदय से पहले उठकर खाली पेट पानी के साथ तुलसी के कुछ पत्ते निगल लिए जाएं तो पूरे साल बीमारियों से बच सकते हैं। कार्तिक महीनें के दौरान बैंगन, मठ्ठा, करेला, फलियां और दालें नहीं खानी चाहिए।
नदी स्नान करने की है परंपरा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक महीने में पवित्र नदियों में स्नान और दीप दान करने की परंपरा भी है। इसकी शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है। इसी वजह से कार्तिक माह में देशभर की सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी लोग पहुंचते हैं। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित भी करना चाहिए।
जप और ध्यान के लिए कार्तिक मास
डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक के महीनें में रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में इष्टदेव के मंत्रों का जप भी करें। जप करते हुए ध्यान करें। जिन लोगों का मन अशांत रहता है, उन लोगों को कार्तिक मास में जप और ध्यान जरूर करना चाहिए। ये समय जप और ध्यान के लिए वरदान की तरह है। कहा जाता है कि जप और ध्यान से अशांति दूर होती है और मन भी एकाग्र रहता है। इस माह में किया गया पाठ साधक को पापों से मुक्ति प्रदान करता है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु के शालग्राम रूप की पूजा करने से महापुण्य मिलता है। इस महीने में तुलसी और आंवले के पेड़ की पूजा भी करने की परंपरा है। ऐसा करने से सुख-समृद्धि और आरोग्य मिलता है।
जरूर करें दान-पुण्य
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस महीने से शीत ऋतु शुरू हो रही है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान भी जरूर करें। कार्तिक मास में जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, ऊनी कपड़े का दान करें। किसी गौशाला में गायों की देखभाल भी करें। गायों के लिए धन का दान करें। इस महीने तुलसी, अन्न, गाय और आंवले का पौधा दान करने का विशेष महत्व होता है। जो देवालय में, नदी के किनारे, सड़क पर या जहां सोते हैं वहां पर दीपदान करता है उसे सर्वतोमुखी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यानी हर तरफ से लक्ष्मी की कृपा मिलती है। जो मंदिर में दीप जलाता है उसे विष्णु लोक में जगह मिलती है। जो दुर्गम जगह दीप दान करता है वह कभी नरक में नहीं जाता, ऐसी मान्यता है। इस महीने में केले के फल का तथा कंबल का दान अत्यंत श्रेष्ठ है। सुबह जल्दी भगवान विष्णु की पूजा और रात्रि में आकाश दीप का दान करना चाहिए।