पहले नहीं था क्रिसमस डे मनाने का रिवाज christmas 2022
जीजज क्राइस्ट, प्रभु यीशु या ईसा मसीह इन्हें ईश्वर की संतान माना जाता है। क्रिसमस christmas 2022 का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया। हालांकि इनकी जन्म तिथि को लेकर कई मतभेद देखे जाते हैं। इतिहास के पन्नों में जो कुछ उल्लेख मिलता है उसके अनुसार 7 से 2 ई. पूर्व के बीच ईसा मसीह का जन्म हुआ था। बताया जाता है कि पहले 25 दिसंबर को क्रिसमस christmas 2022 मनाने का कोई रिवाज नहीं था। सूर्य के उत्तरायण में जाने के मौके पर एक दूसरा बड़ा त्योहार मनाया जाता है। उस दिन सूर्य की उपासना की जाती। 25 दिसंबर से दिन बढऩे लगता है, इसलिए इसाइयों के बीच मान्यता थी कि इस दिन सूर्य का पुनर्जन्म होता है। उन्हें जीसस क्राइस्ट के जन्म की वास्तविक तिथि के बारे में पता नहीं था, तो उन्होंने इसी खास मौके को यीशु के जन्मदिन यानी क्रिसमस christmas 2022 के रूप में मनाना शुरू कर दिया। इससे पहले ईस्टर इसाइयों का प्रमुख त्योहार था। इतिहास बताता है कि पोप सेक्स्तुस जूलियस अफ्रिकानुस वह पहले शख़्स थे, जिन्होंने बड़े दिन christmas 2022 की तारीख तय की। उन्होंने साल 221 में ईसाई क्रोनोग्राफी में 25 दिसंबर का उल्लेख किया है। रोम के पहले ईसाई सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने भी इसी तिथि को मान्यता दी है।
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जरूर पढ़ें ये किस्सा christmas 2022
ईसाई धर्म में प्रचलित कथा के मुताबिक, भगवान ने अपने दूत जिब्राईल, जिसे गैब्रिएल भी कहते हैं, को मरियम नाम की एक महिला के पास भेजा था। जिब्राईल ने मरियम को बताया कि उनके गर्भ से एक शिशु का जन्म होगा। और जो शिशु उनके गर्भ से जन्म लेगा, उसका नाम जीसस क्राइस्ट होगा। वह ऐसा राजा बनेगा, जिसका साम्राज्य असीमित होगा। मान्यता है कि कि जब-जब देवदूतों का जन्म होता है तो गैब्रिएल पहले आकर इसकी सूचना दे जाते हैं।
यहां हुआ था प्रभु यीशु का जन्म christmas 2022
मरियम वर्तमान में इजराइल का एक शहर था नाजरथ वहां रहती थीं। जब वह गर्भवती थीं, तब इस शहर में जनगणना का काम चल रहा था। इसलिए यह शहर पूरी तरह से भरा हुआ था। सभी धर्मशालाएं, सार्वजनिक आवास गृह पूरी तरह भरे हुए थे। जगह के अभाव में मरियम ने एक अस्तबल में आधी रात को यीशु को जन्म दिया। christmas 2022 तब नाजरथ रोमन साम्राज्य में था। जन्मस्थल से कुछ दूरी पर कुछ चरवाहे भेड़ चरा रहे थे। कहा जाता है कि भगवान स्वयं देवदूत का रूप धारण कर वहां आए और उन्होंने चरवाहों से कहा कि ‘इस नगर में एक मुक्तिदाता का जन्म हुआ है, ये स्वयं भगवान ईसा हैं।’ देवदूत की बात पर यकीन करके christmas 2022 चरवाहे उस बच्चे को देखने गए। देखते ही देखते बच्चे को देखने वालों की भीड़ बढऩे लगी। लोगों का मानना था कि यीशु ईश्वर का पुत्र है और यह कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया है।
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पहली बार यहां मनाई गई थी खुशी
क्रिसमस christmas 2022 से जुड़ा पहला खास त्योहार 336 ईस्वी के दौरान रोम में मनाया गया। उसके बाद से इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई। अब यह शायद दुनिया का इकलौता त्योहार है, जब लगभग सभी देशों में छुट्टी रहती है। इसे दुनिया के हर देश में हर जाति और वर्ग के लोग मनाने लगे हैं। कई मुल्कों में 24 दिसंबर की शाम से ही क्रिसमस christmas 2022 से जुड़े कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। वहीं, ब्रिटेन और राष्ट्रमंडल देशों में क्रिसमस christmas 2022 के अगले दिन यानी 26 दिसंबर को बॉक्सिंग डे के रूप में मनाया जाता है।
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रोशन बारां बताती हैं कि 15 दिन पहले से ही इस त्योहार की तैयारियां आपको हर घर में नजर आने लगती हैं। चर्च के साथ ही घरों में भी कैरोल सॉन्ग carol song गाए जाने लगते हैं। क्रिसमस christmas 2022 के दिन चर्च जाते हैं, मास (एक तरह की प्रार्थना) में शामिल होते हैं। चर्च से ही एक-दूसरे को बधाई देने का दौर शुरू हो जाता है। घर लौटकर भी लोग एक-दूसरे के घर जाकर क्रिसमस christmas 2022 विश करते हैं। ईद और दिवाली की ही तरह ही इस त्योहार पर भी लोग कई दिन तक सेलिब्रेशन करते हैं।