गौरतलब है कि तालिबान के पूर्व नेता अख्तूर मंसूर के अमरीकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद मई 2016 में हैबतुल्लाह अखुंदजादा को तालिबान का चीफ नियुक्त करा गया था। उस समय तालिबान द्वारा शेयर करे गए एक वीडियो संदेश में हैबतुल्लाह अखुंदजादा को आतंकी संगठन का प्रमुख बनाने को लेकर ऐलान किया गया था। पाकिस्तान में एक बैठक के बाद उसे तालिबान का सुप्रीम लीडर बना दिया गया था।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के चीफ 50 वर्षीय हैबतुल्लाह अखुंदजादा को एक सैनिक के बजाय एक धार्मिक कानूनी विद्वान के रूप में जाना जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, उसे आतंकी समूह द्वारा इस्लाम की चरम व्याख्याओं को जारी करने का श्रेय दिया जाता है। बीते दिनों रिपोर्ट में दावा किया गया कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा पाकिस्तान सेना की हिरासत में है। संगठन के ही एक सदस्य का कहना है कि अखुंदजादा को बीते छह माह से नहीं देखा गया है।
फरवरी में आई थी मौत की खबर
अखुंदजादा अफगानिस्तान के कंधार प्रांत का एक कट्टरपंथी धार्मिक विद्वान है। वह 1980 के दशक में अफगानिस्तान पर सोवियत आक्रमण के समय से तालिबान में शामिल था। इससे पहले इसी साल फरवरी माह में ऐसी जानकारी सामने आई थी कि अखुंदजादा की मौत हो गई है। वहीं कई रिपोर्ट कहती हैं कि तालिबानी प्रमुख की मौत महीनों पहले अप्रैल 2020 में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक धमाके के बाद हो गई।
मौत की खबरें छिपाता है तालिबान
ऐसी संभावना है कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत पहले हो चुकी है, मगर तालिबान इसे छिपाने में लगा हुआ है ताकि संगठन दुनिया के सामने कमजोर न दिखाई पड़े। अख्तर मंसूर को भी तालिबान के संस्थापक नेता मुल्ला उमर की 2013 में मौत के बाद बाद संगठन के प्रमुख बनाया गया था। मगर उमर की मौत की घोषणा 2015 में की गई। तालिबान उसकी मौत को खारिज करता रहा।