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भारत-बांग्लादेश के बीच अब पैदा हुआ सीमा पर तनाव, यूनुस सरकार को भारत ने दिया जवाब, जानिए क्यों उपजा ये विवाद

India Bangladesh Border Dispute: दोनों देशों में तनाव के बीच बांग्लादेश और भारत के बीच अब सीमा को लेकर विवाद पैदा हो गया है। मामला इतना बढ़ गया है कि बांग्लादेश ने भारतीय राजदूत को तलब किया, जिसके बाद भारत ने इसका जवाब दिया।

नई दिल्लीJan 13, 2025 / 12:13 pm

Jyoti Sharma

Indian High Commissioner reply to Bangladesh over border tension

PM Narendra Modi And Bangladesh PM Muhammad Yunus

India Bangladesh Border Dispute: बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री और मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अब भारत बांग्लादेश सीमा के बीच विवाद पैदा कर रहे हैं। सीमा पर तनाव को लेकर बीते रविवार को बांग्लादेश और भारत के बीच टकराव हो गया था। इसे लेकर अब बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारतीय राजदूत को तलब किया है। इससे पहले बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) सरकार के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जहांगीर आलम चौधरी ने कहा था कि भारत ने बांग्लादेश की पैरामिलिट्री फोर्स BGB यानी बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश और स्थानीय निवासियों के कड़े विरोध के बाद सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने का काम रोक दिया है।

बांग्लादेश ने भारत पर समझौते के उल्लंघन का आरोप

इसे लेकर भारत के विदेश मंत्रालय ने उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब कर किया और BSF यानी सीमा सुरक्षा बल की गतिविधियों पर ‘गहरी चिंता’ जताई। गौर करने वाली बात ये है कि ये बयान ऐसे समय पर आया है कि जब कुछ देर पहले ही बांग्लादेश ने आरोप लगाया था कि भारत बांग्लादेश (India Bangladesh Border Land Agreement) के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन कर रहा है और भारत-बांग्लादेश सीमा पर 5 स्थानों पर बाड़ लगा रहा है। 

बांग्लादेश से क्या कहा भारत ने?

भारतीय उच्चायुक्त को तलब करने के बाद बांग्लादेश के विदेश सचिव जशीम उद्दीन से उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने मुलाकात की और इस विवाद पर कहा कि “मैंने विदेश सचिव से मुलाकात कर अपराध मुक्त सीमा सुनिश्चित करने, तस्करी, अपराधियों की आवाजाही और मानव तस्करी की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने की भारत की प्रतिबद्धता पर चर्चा की।”
उन्होंने कहा कि “सुरक्षा के लिए सीमा पर बाड़ लगाने के संबंध में भारत और बांग्लादेश के बीच सहमति है। इस संबंध में BSF और BGB (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के बीच बातचीत चल रही है। भारत को उम्मीद है कि सहमति को लागू किया जाएगा और अपराध से निपटने के लिए बांग्लादेश सहयोग करेगा।”

‘भारत ने बांग्लादेश के विरोध के बाद रोका काम’

बांग्लादेश की मीडिया द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक बीते रविवार को इस मुद्दे पर बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जहांगीर आलम चौधरी ने कहा था कि भारत ने BGB और स्थानीय निवासियों के कड़े विरोध के बाद सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने का काम रोक दिया है।

भारत के सीमा पर बाड़ लगाने को कहा अवैध, अनाधिकृत

भारत ने बांग्लादेश सीमा पर कंटीली बाड़ लगाई हुई है इसे बांग्लादेश ने अवैध और अनाधिकृत कहा है। बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि भारत जो 5 जगहों पर कंटीली बाड़ लगा रहा है वो आनाधिकृत है। बांग्लादेश की आजादी के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच बॉर्डर लैंड लेकर चार समझौते हुए हैं, भारत ने इन समझौतों का उल्लंघन किया है। कंटीली बाड़ के पास पेट्रोलिंग कर रहे BSF की गतिविधियों पर सवाल उठाते हुए भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को जहांगीर आलम चौधरी ने इस सीमा विवाद की जड़ बताया। और कहा कि ये बॉर्डर लैंड समझौतों का उल्लंघन है। 

भारत और बांग्लादेश के बीच कौन सा बॉर्डर समझौता है?

भारतीय विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के बाद सीमा को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच समझौते हुए हैं। ये हैं-
1- 2011 प्रोटोकॉल: 6 सितंबर, 2011 को तत्कालीन PM डॉ. मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि सीमा के सीमांकन और संबंधित मामलों से जुड़े समझौते के लिए एक प्रोटोकॉल पर साइन किए थे। 
2- 2011 समन्वित सीमा समझौता: 2011 प्रोटोकॉल लगभग दोनों देशों के बीच 6.1 किमी की अनिर्धारित भूमि सीमा, एन्क्लेवों के आदान-प्रदान और प्रतिकूल कब्ज़ों से संबंधित अनसुलझे मुद्दों को लेकर है। 

3- 16 मई, 1974 को इस समझौते पर साइन हुए थे। इसके तहत दोनों देशों के बीच लंबे समय से लंबित भूमि सीमा मुद्दों के समाधान की सुविधा मिलती है। यानी ये समझौता विवादित ज़मीन की समस्याओं के निपटान के लिए है। 

कैसे तय हुई थी सीमा?

भारतीय विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 1947 में भारत के विभाजन के बाद, रेडक्लिफ रेखा भारत और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के बीच की सीमा बन गई और 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति के बाद, वही रेखा भारत और बांग्लादेश के बीच की सीमा बन गई। हालांकि भारत और तत्कालीन पाकिस्तान के बीच सीमा का सीमांकन, विभाजन के तुरंत बाद शुरू हो गया था। लेकिन ये काम बहुत धीरे हुआ। इसका कारण था, आंशिक रूप से सीमा को सटीक रूप से निर्धारित करने में आई समस्याएं। हालांकि इनमें से कुछ सीमा विवादों को 1958 के नेहरू-नून समझौते से सुलझाने की कोशिश की गई थी लेकिन लेकिन बाद में दोनों देशों के बीच दुश्मनी बढ़ने से ये काम अधूरा रह गया था। बांग्लादेश के बनने के बाद भी, दोनों देशों के बीच ये सीमा विवाद, इतिहास और खंडित राजनीति से विरासत में मिला।
फिर भी दोनों देश बांग्लादेश की आजादी के बाद 1974 में सीमा निर्धारण की जटिल प्रकृति का समाधान खोजने के लिए भूमि सीमा समझौते पर साइन करने पर सफल रहे। लेकिन इस समझौते को इन तीन लंबित मुद्दों को छोड़कर पूरी तरह से लागू किया गया है, ये हैं-
1- तीन क्षेत्रों में लगभग 6.1 किलोमीटर की अनिर्धारित भूमि सीमा अर्थात दाइखाता-56 (पश्चिम बंगाल) एन्क्लेव का आदान-प्रदान और प्रतिकूल कब्जे

2- मुहुरी नदी-बेलोनिया (त्रिपुरा) एन्क्लेव का आदान-प्रदान और प्रतिकूल कब्जे

3- लाठीटीला-दुमाबारी (असम) एन्क्लेव का आदान-प्रदान और प्रतिकूल कब्जे
भले ही भारत की तरफ से इस समझौते की पुष्टि नहीं की गई थी, लेकिन इन 3 मुद्दों को छोड़कर इसे लागू किया किया। और वो भी इस तथ्य को देखते हुए कि दोनों देश लगभग 4,096.7 किमी लंबी भूमि सीमा साझा करते हैं। बांग्लादेश के दहाग्राम और अंगारपोर्टा एन्क्लेव के संबंध में, 1974 के LBA के अनुच्छेद 1(14) में तीन बीघा के पास 178 मीटर x 85 मीटर के इलाके को स्थायी रूप से पट्टे पर देकर इन एन्क्लेव तक पहुंच का प्रावधान है। इसे 7 अक्टूबर, 1982 को भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री और बांग्लादेश के तत्कालीन विदेश मंत्री के बीच और 26 मार्च, 1992 को भारत के विदेश सचिव और बांग्लादेश के अतिरिक्त विदेश सचिव के जरिए लागू किया गया था।

क्या कह रहा है बांग्लादेश 

द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय़ के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने बताया कि भारत और बांग्लादेश के बीच हुए समझौतों में से 1975 का ज्ञापन ये बताया है कि शून्य रेखा के 150 गज के भीतर कोई भी देश रक्षा विकास गतिविधियां नहीं करेगा, और अगर कोई निर्माण करना है तो इस पर दोनों देशों सहमति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि भारत ने बांग्लादेश के साथ 4,156 किलोमीटर लंबी सीमा में से 3,271 किलोमीटर पर पहले ही बाड़ लगा दी है और लगभग 885 किलोमीटर सीमा बिना बाड़ के रह गई है। 

बांग्लादेश की पिछली सरकार ने किया भारत से समझौता

जहांगीर आलम ने बांग्लादेश की पिछली सरकार (शेख हसीना की सरकार) पर आरोप लगाया है और कहा है कि भारत इतनी बाड़ इसलिए बना पाया क्यों शेख हसीना की सरकार ने भारत को इस निर्माण के लिए असमान अवसर दिए, जिसके चलते 160 जगहों पर कंटीली बाड़ लगाने का विवाद पैदा हो गया है। बांग्लादेश की पिछली सरकार ने ही भारत को लिखित में ये सहमति दी इसलिए ये समस्याएं पैदा हुई हैं। इसमें कहा गया कि इसमें से एक सहमति 3 बीघा कॉरिडोर की भी है। 1974 के समझौते के तहत बांग्लादेश ने बेरूबारी को भारत को सौंप दिया था। बदले में भारत को बांग्लादेश को तीन बीघा कॉरिडोर तक पहुंच की परमिशन देनी थी लेकिन भारत ने ये नहीं किया। 
इसका नतीजा ये हुआ कि भारत एक घंटे के लिए ये गलियारा खोलता है और फिर एक घंटे के लिए बंद करते हैं। इसके बाद 2010 में इस गलियारे को 24 घंटे खोलने पर एक नए समझौते पर साइन किए गए, हालांकि इसके तहत भारत को अंगारपोटा में जीरो लाइन पर कंटीली बाड़ लगाने की परमिशन दी। लेकिन अब बांग्लादेश को इस निर्माण के विरोध में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि बांग्लादेश के इस समझौते ने ही भारत को परमिशन दी है।

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