स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं यह संकट तब शुरू हुआ था,जब बीते दिनों राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने पीएम रानिल विक्रमसिंघे से असहमति के चलते उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया था। यही नहीं उनकी कैबिनेट के मंत्रियों को भी बाहर का रास्ता दिखाते हुए महिंदा राजपक्षे को पीएम की जिम्मेदारी सौंप दी थी।
दो बार अविश्वास प्रस्ताव पास किया इस बात को लेकर विद्रोह हो गया और सांसदों ने दो बार उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास किया। हालांकि सिरीसेना इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है कि उनकी पीएम की पसंद को लोग खारिज कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त की गई सरकार को वैध करार नहीं दिया जा सकता। इसकी वजह यह है कि विक्रमसिंघे को पद से हटाने से पहले उन्होंने संसद की मंजूरी नहीं ली।