लेकिन अब श्रीलंका और चीन के बीच बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए ठीक नहीं है। क्योंकि चीन और भारत के बीच कई मामलों में 36 का आंकड़ा है। जबकि इसके विपरित चीन और श्रीलंका के बीच गहरे संबंध हैं। गौतबाया को चीन का करीबी माना भी जाता है।
अब श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि नई सरकार के सामने सबसे जरूरी काम राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण है और एक मजबूत नई सरकार स्थापित हुई है और हमें राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था बहाल करने का विश्वास है।
कोलंबो में 7 दिसंबर को सिन्हुआ न्यूज एजेंसी से साक्षात्कार में महिंदा राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका की नई सरकार भविष्य में चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास करने की अपेक्षा रखती है।
श्रीलंका-चीन का रिश्ता अटूट: राजपक्षे
महिंदा राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका और चीन के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का लंबा इतिहास है, जो मजबूत और अटूट है। वह दोनों देशों के व्यावहारिक सहयोग और लंबे समय तक चीन के श्रीलंका को समर्थन देने का आधार है। चीन ने श्रीलंका के राष्ट्रीय विकास में बड़ी सहायता दिया है।
महिंदा राजपक्षे ने पश्चिमी देशों के चीनी परियोजनाओं से श्रीलंका के कर्ज के जाल में फंसने की बातों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि श्रीलंका की नयी सरकार मानती है कि हम्बनटोटा पोर्ट समेत बड़ी परियोजनाओं का उज्जवल भविष्य है और श्रीलंका संबंधित ऋण चुकाने में सक्षम है।
हाल ही में कुछ विदेशी मीडिया ने राष्ट्रपति गौतबाया राजपक्षे के हम्बनटोटा पोर्ट संबंधी कथन को ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। महिंदा राजपक्षे ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि इन मीडिया ने राष्ट्रपति के मतलब को गलत ढंग से पेश किया।
उन्होंने कभी नहीं कहा है कि श्रीलंका ने हम्बनटोटा पोर्ट के नियंत्रण अधिकार को बेच दिया है और यह भी नहीं कहा है कि हम्बनटोटा पोर्ट के समझौते से श्रीलंका की प्रभुसत्ता को नुकसान पहुंचा है।
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