मैत्रीपाला सिरिसेना का एलान ऐसे समय हुआ है जब दोनों देश अपने सैन्य संबंधों को और मजबूत करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। बता दें कि राष्ट्रपति सिरीसेना अपने प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ लम्बे समय से कई मतभेदों में उलझे हैं।
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अपने कदम का एलान करते हुए सिरिसेना ने कहा, “मैं किसी भी समझौते को अनुमति नहीं दूंगा जो हमारी स्वतंत्रता और संप्रभुता को कमजोर करता है।” सिरिसेना ने द्वीप के दक्षिण में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए कहा “वर्तमान में जिन कई समझौतों पर चर्चा की जा रही है, वे हमारे देश के लिए हानिकारक हैं।”
SOFA श्रीलंका और अमरीकी सेना के बीच रक्षा संबंधों को लेकर किया जाने वाला एक आपसी समझौता है। यह अमरीकी सेना को बंदरगाह सुविधाओं तक पारस्परिक पहुँच सुनिश्चित करने और सैन्य कर्मियों और उनके ठेकेदारों को देश में फ्री प्रवेश की अनुमति देना है।
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सिरिसेना ने कहा कि जब तक वह पद पर हैं तब तक “श्रीलंका के राष्ट्रीय हित के खिलाफ” कोई द्विपक्षीय समझौते नहीं होंगे। बता दें कि सिरिसेना का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो रहा है।
आपको बता दें कि एक साल पहले, वाशिंगटन ने घोषणा की कि वह श्रीलंका में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए $ 39 मिलियन का अनुदान दे रहा है। अमरीका का यह कदम चीन के श्रीलंका में बढ़ते दखल के प्रतिउत्तर में था। बता दें कि चीन ने हिंद महासागर द्वीप पर अपनी रणनीतिक पकड़ काफी विकसित कर ली है।
श्रीलंका में अमरीका की दिलचस्पी इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि चीन बंदरगाहों और द्वीप पर अन्य निर्माण परियोजनाओं में निवेश बढ़ा रहा है। यह बीजिंग की महत्वाकांक्षी “बेल्ट एंड रोड” की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
उधर 2009 में खत्म हुए अलगाववादी युद्ध के दौरान अमरीका ने श्रीलंका को हथियारों की बिक्री रोक दी थी। राजपक्षे के शासन के दौरान अमरीका ने मानवाधिकार हनन मुद्दों पर श्रीलंका के खिलाफ कई कदम उठाए थे। उसके बाद चीन ने श्रीलंका को कई तरह की वित्तीय मदद मुहैया कराई थी।
2017 में श्रीलंका ने हंबनटोटा बन्दरगाह बीजिंग को 99 साल के पट्टे पर दिया क्योंकि वह $ 1.4 बिलियन की परियोजना के लिए चीनी ऋण नहीं चुका सका।
बता दें कि हंबनटोटा बंदरगाह दुनिया के सबसे व्यस्त पूर्व-पश्चिम शिपिंग मार्ग का विस्तार करता है और यह भारत के प्रभुत्व वाले क्षेत्र में चीन को एक रणनीतिक पायदान देता है।
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