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मुस्लिमों में दहशत का माहौल
बता दें कि श्रीलंका में हुए इस सीरियल बम धमाके की निंदा पूरी दुनिया के हर कौम और वर्ग ने की। लेकिन श्रीलंका में मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग इस हमले के बाद से डरा हुआ है। लोगों को लग रहा है कि कहीं इस हमले का प्रतिकार लेने के लिए उनको निशाना न बनाया जाए। क्योंकि अभी तक जो सूचनाएं सामने आई है इसके मुताबिक हमले का संबंध श्रीलंका के कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन नेशनल तौहीद जमात ( NTJ ) से है। 60 वर्षीय जरीना बेगम कहती हैं कि हमले के बाद से वह ठीक से सो नहीं पा रही हैं, क्योंकि उन्हें इस बात का इल्म है कि लोग मुस्लमानों से काफी गुस्सा हैं। वह आगे कहती हैं कि नफरत का अंत नफरत से नहीं हो सकता है। उन्हें डर है कि लोग कहीं उनपर हमला न कर दे, इसलिए अब तो घर से भी निकलने में भी डर लगता है। 41 वर्षीय एक अन्य शख्स हसन ने कहा कि मेरे परिवार को डर लगता है कि यदि मैं बाहर निकला तो पता नहीं वापस लौटूंगा या भी नहीं। उन्होंने कहा कि सीरियल ब्लास्ट के बाद से देश में तनाव का माहौल है और मुस्लिम होने की वजह से उन पर हमला किया जा सकता है। एक और शख्स आर.एफ. अमीर ने बताया कि हम बेहद डरे हुए हैं। कोई भी हमें टोपी में देखता है तो हमें दुश्मन समझता है और लगता है कि कहीं हमला न कर दे। इसलिए वे कहना चाहते हैं कि हम आपके दुश्मन नहीं हैं। यह हमारी भी धरती है।
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9 हमलावरों ने किए थे हमले
बता दें कि बीते रविवार को ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में चर्च और होटलों को निशाना बनाते हुए आठ सीरियल धमाके किए गए थे। इस धमाके में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि 500 से अधिक लोग घायल हो गए। जांच एजेंसियों को मालूम चला है कि इस हमले में एक महिला समेत 9 लोगों ने मिलकर घटना को अंजाम दिया। फिलहाल जांच प्रक्रिया तेज गति से चल रही है और इसको लेकर 60 संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गौरतलब है कि श्रीलंका की आबादी 2.1 कोरड़ है, जिसमें सिंहली बौद्ध समुदाय सबसे अधिक हैं। इसके बाद हिन्दुओं की संख्या है। श्रीलंका में मुस्लिम समुदाय की संख्या करीब 10 प्रतिशत है, वहीं ईसाईयों की संख्या 7 फीसदी है।
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