पाकिस्तान में बीते एक साल से आर्थिक हालात लगातार गिरते जा रहे हैं। मार्च में फैले कोरोना वायरस (Coronavirus) ने इसमें आग में घी का काम किया है। इमरान संक्रमण से लड़ने के लिए विश्व समुदाय की मदद मांग रहे हैं। बढ़ते मामलों के बावजूद वे लॉकडाउन न लगाने पर मजबूर हैं। उनका कहना है कि अगर पाबंदियां लगाई गईं तो देश भुखमरी के हालात में पहुंच जाएगा। घटते विदेशी मुद्रा भंडार ने पाक की कमर तोड़ दी है। ऐसे में रक्षा बजट में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हैरान करने वाली है।
पाक में सेना तय करती है बजट में अपना हिस्सा पाकिस्तान का एक भी पत्ता सेना की इजाजत के बिना हिलता नहीं है। वही देश के बजट में अपना हिस्सा तय करता है। किसी जमाने में पाक के रक्षा बजट की हिस्सेदारी कुल बजट में 50 प्रतिशत तक पहुंच जाया करती थी। पाकिस्तान सरकार ने बीते कुछ सालों में इस बजट में कटौती की थी। कहा जा रहा है कि इस बार सेना के दबाव के आगे इमरान खान की चल नहीं सकी।
सैन्य बजट बढ़ाने की क्या है मजबूरी पाकिस्तानी सेना का तर्क होता है कि वह तीन मोर्चों पर दुश्मनों से घिरी हुई है। इसके अलावा वह अपने ही देश में गृहयुद्ध को भी झेल रही है। इसके साथ भारत जैसे दुश्मन का सामना करने के लिए उसे बेहतर हथियारों की आवश्यकता है। पाकिस्तानी सेना के अफगानिस्तान के साथ भी संबंध सही नहीं हैं। वहीं दक्षिणी सीमा पर ईरान के साथ पाकिस्तान के संबंध सामान्य नहीं हैं। पाकिस्तान की ईरान के कट्टर दुश्मन सऊदी अरब के साथ गहरी दोस्ती है। इस कारण ईरान भी पाकिस्तान को शक की निगाहों से देखता है।