शेरपा कामी रीता ने 24 वीं बार एवरेस्ट फतह कर रचा इतिहास, बनाया नया विश्व रिकॉर्ड
आठ भारतीयों की हुई थी मौत
बता दें कि AMGM के अध्यक्ष उमेश झिरपे ने कहा कि पहाड़ पर चढ़ने के समय चोटी के कटने से बड़ी संख्या में पर्वतारोहियों की मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक ट्रैफिक जाम में, थके हुए पर्वतारोही अक्सर एक ही रस्सी पर चढ़ने या उतरने के लिए कई घंटों तक इंतजार करने के लिए मजबूर होते हैं, जिससे सांस फूलना, थकावट, शीतदंश या ऊंचाई की बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। पर्वतारोही अंतिम चरण के दौरान ऑक्सीजन की कमी से भी जूझने लगते हैं। झिरपे ने आगे कहा कि पहाड़ पर चढ़ने की परमिट जारी करने के लिए नेपाल पर्यटन विभाग की ओर से 11,000 डॉलर का शुल्क लिया जाता है, हालांकि इन परमिटों को जारी करते समय विभाग इस बात पर ध्यान नहीं देता है कि एक समय में कितने पर्वतारोहियों को अनुमति दी जानी चाहिए? बता दें कि इस साल 21 मई को 270 से अधिक पर्वतारोही इस अभियान में शामिल थे, लेकिन फिर मौसम बिगड़ने और चोटी धंसने के कारण कई लोगों को स्वास्थ्य दिक्कतें होने लगी। इसके कारण आठ भारतीय नागरिकों की मौत भी हो गई थी। झिरपे ने आरोप लगाया कि बहुत सारे पर्वतारोहियों को बिना पर्याप्त प्रशिक्षण के ही विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर भेज देते हैं। ऐसे में हादसे होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।
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