सरकारी सूत्रों के के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारतीय सेना ने चीन को साफ शब्दों में कह दिया है कि सीमा पर शांति बहाली ( Peace restoration on the border ) के लिए सभी परस्पर सहमत प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार सुबह 2 बजे दोनों देशों के साना के बीच बातचीत समाप्त हुई।
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दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों के बीच गहन और जटिल बातचीत के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने चीनी पीएलए ( Chinese Army PLA ) को ‘सीमा’ के बारे में अवगत कराया। बातचीत के दौरान दोनों पक्ष पीछे हटने के अगले चरण के कुछ तौर-तरीकों पर सहमत हुए। बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच फिर से बातचीत हो सकती है।
चीन को हर समझौतों और प्रोटोकॉल का करना होगा पालन: भारत
आपको बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता ( Lieutenant general level talks ) का चौथा दौर LAC के भारतीय सीमा के चुशूल में मंगलवार सुबह 11 बजे से शुरू हुआ था। इस वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ( Commander Lieutenant General Harinder Singh ) ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया।
फिलहाल सरकार या सेना की ओर से वार्ता को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने ( Army Chief General MM Narwane ) को वार्ता के विवरण से अवगत कराया गया है, जिसके बाद उन्होंने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया गया। ऐसा बताया जा रहा है कि भारत और चीन सेना के बीच आने वाले दिन में एक और बैठक यानी पांचवें दौर की वार्ता होने वाला है।
LAC पर 5 मई से भारत-चीन सेना के बीच शुरू हुए तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करने के लिए मंगलवार को दोनों देशों की सेना के बीच सबसे लंबी बातचीत हुई। इससे पहले 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता का तीसरा दौर 12 घंटे तक चला था। बातचीत के दौरान भारत-चीन ने चरणबद्ध तरीके से डी-एस्केलेशन (De-escalation ) पर सहमति व्यक्त की थी।
सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि चौथे दौर में मुख्य रूप से पैंगोंग सो और डेप्सांग ( Pangong So and Depsang ) जैसे सभी विवाद वाली जगहों से ‘समय-बद्ध और सत्यापित’ डी-एस्केलेशन प्रक्रिया को लेकर बातचीत हुई। भारत ने साफ कर दिया कि चीन को समझौतों और प्रोटोकॉल के सभी प्रासंगिक प्रावधानों का पालन करना होगा।