दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन की बात करें तो एड्स की रोकथाम चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद स्थिर बनी हुई है। चीन में आंकड़ों पर गौर करें तो वहां वर्ष 2020 के अंत तक करीब 10 लाख लोग एचआईवी संक्रमित थे। वहीं, इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या 3 लाख 51 हजार था। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा स्थापित मंच चाइना सीडीसी ने एड्स को लेकर उक्त आंकड़े जारी किए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, चीन में 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है। जहां वर्ष 2011 में इस आयु वर्ग के 22 प्रतिशत लोगों को एड्स था, जबकि 2020 में यह अनुपात बढ़कर 44 प्रतिशत हो गया।
जानकार मानते हैं कि चीन में इस रोग को लेकर जागरुकता तो बढ़ रही है, लेकिन अभी भी इसके संक्रमण को रोकने के लिए बहुत कुछ करना होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि एड्स के संचरण की रोकथाम के लिए व्यापक उपाय करने की आवश्यकता है। साथ ही उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए प्रारंभिक हस्तक्षेप विधियों का सहारा लेने पर भी जोर दिया गया है।
वहीं, पड़ोसी देश भारत में भी एड्स के संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नाको) की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 तक इंडिया में 23 लाख 49 हजार लोग एचआईवी/एड्स से संक्रमित पाए गए थे। महाराष्ट्र में एड्स पीड़ितों की संख्या सबसे ज्यादा है।
बता दें कि हमारे समाज में अब भी एड्स रोगियों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। कई मौकों पर देखा गया है कि लोग उन्हें अछूत समझने लगते हैं। जबकि इस रोग का छूने, बात करने व अन्य बाहरी स्पर्श के कोई संबंध नहीं है। यही कारण है कि इस बार 1 दिसंबर के एड्स दिवस की थीम थी, ‘असमानताओं को समाप्त करें, एड्स का अंत करें’। उम्मीद की जानी चाहिए कि एड्स रोगियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाएगा और संक्रमण रोकने के उपायों पर ध्यान दिया जाएगा।