2. शरीर का झुका हुआ लगना
3. कमज़ोरी महसूस होना और आसानी से थक जाना
4. पीठ में किसी भी तरह का उभार वर्टिब्र (लिस्टिसिस) के फ्रैक्चर होने के कारण हो सकता है
5. समय के साथ ऊंचाई कम हुई
6. लगातार फ्रैक्चर आना
2. कैल्शियम की कमी
3. आनुवंशिक प्रवृतियां
4. सूर्य के प्रकाश का शरीर पर ना पड़ना
5. पर्यावरण का प्रदूषित होना
6. मीनोपॉज में महिलाओं में कम एस्ट्रोजन का स्तर
7. कैंसर ट्रीटमेंट थेरेपी
8. हाइपर्थाइरॉइडिज़म
9. चिकित्सा स्थिति या दवा: प्रेडनिसोन या कोर्टिसोन जैसी दवाएं भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
10. रूमेटाइड आर्थराइटिस
11. बिना मूवमेंट की लाइफस्टाइल
12. शराब और धूम्रपान और तंबाकू का सेवन
13. बढ़ती उम्र में हड्डियों के बनने और टूटने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
14. मेनोपॉज की स्थिति में भी महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसके कारण शरीर से हड्डियां कमजोर होती हैं।
प्रोटीन: ओट्स, राजमा, दाल, ग्रीक योगर्ट जैसी चीज़े खाने में जरूर शामिल करें।
फल और सब्ज़ियां: ताजे फल और सब्जियां शामिल करना ना भूलें. इनमें शलजम साग, केला, ओकरा, चीनी गोभी, सरसों का साग, ब्रोकोली, पालक, आलू, शकरकंद, संतरा, स्ट्रॉबेरी, पपीता, अनानास, केले, प्रून, लाल और हरी मिर्च ले सकते हैं।
धूप का सेवन करें- विटामिन डी को नेचुरली पाने के लिए सुबह-सुबह की धूप का सेवन जरूर करें।
क्वांटेटिव कंप्यूटेड टोमोग्राफी
अल्ट्रासाउंड
ऑस्टियोपोरोसिस में बोन डेंसिटी टेस्ट नोट: इस टेस्ट को 40 की उम्र के बाद से कराना शुरू कर देना चाहिए। डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। ‘पत्रिका’ इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।