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देश में पहली बार किसी महिला को होगी फांसी, क्रूर शबनम के जुर्म की दास्तां सुन कांप जाएगी रूह सात परिजनों की हत्या का मामला बामनखेड़ी कांड एक बार फिर से सुर्खियों में है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शबनम की दया याचिका ठुकराए जाने के बाद आजाद भारत में पहली महिला को फांसी देने का रास्ता साफ हो गया है। बताया जा रहा है कि जल्द ही मथुरा जेल में शबनम को फांसी के तख्ते पर लटकाया जा सकता है। इसी बीच शबनम के बेटे ने राष्ट्रपति से अपनी मां के जुर्म को माफ करने की गुहार लगाई है। मां को याद करते हुए बच्चा रोने लगता है। उसने बताया कि वह मां से मिलने मथुरा जेल गया है। मां उसे बहुत प्यार करती है। मां जब उसे गले लगाती है तो बहुत अच्छा लगता है, वह मुझे पैसे भी देती है। उसने बताया कि मां चाहती है कि मैं पढ़-लिखकर आगे बढ़ू और एक अच्छा इंसान बनूं। उसने बताया कि उसने देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मां की सजा माफ करने की अपील की है, ताकि मेरे सिर पर मां का साया बना रहे।
काफी दिनों बाद हुआ परिवार में हुआ एडजस्ट शबनम के बेटे को मां का प्यार और दुलार देने वाली कस्टोडियन उस्मान सैफी की पत्नी वंदना सिंह ने बताया कि बच्चे की कस्टडी लेने के बाद काफी दिनों तक उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद बच्चा उनके बीच अच्छे से एडजस्ट हो गया। वंदना का कहना है कि वह एक टीचर हैं और यह जानती हैं कि उम्र के किस पड़ाव पर बच्चे को किस चीज की जरूरत होती है। वह अच्छे से उसकी देखभाल करती हैं। वह कहती हैं कि भले उसने जेल में जन्म लिया हो और छह साल तक वहीं पला हो, लेकिन वह एक सामान्य बच्चे की तरह ही है।
जब तक चाहे पढ़ सकता है बता दें कि शबनम का एक ही बेटा है, जिसने जेल में ही जन्म लिया था। छह साल का होने पर बच्चे को अमरोहा जिला प्रशासन ने कस्टोडियन बुलंदशहर सुशीला विहार कॉलोनी निवासी उस्मान सैफी को सौंप दिया था। कस्टोडियन उस्मान ने बताया कि बच्चा जिले बड़े स्कूल में पढ़ता है। उन्होंने बताया कि वह जब तक पढ़ना चाहेगा, उसको पढ़ाएंगे और अच्छी परवरिश देंगे। उसकी पूरी व्यवस्था है। उस्मान ने बताया कि उसकी मां के पास काफी संपत्ति है। उन्होंने शबनम से कहा है कि वह अपनी संपत्ति को किसी अच्छे काम के लिए दान करे तो बेहतर होगा।