इस बात पर जोर देना जरूरी है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सैकड़ों लोग संजय गांधी अस्पताल पर निर्भर हैं। अमेठी और इसके आसपास के जिलों से यहां हर दिन सैकड़ों लोग परामर्श, निदान और उपचार के लिए आते हैं। अस्पताल के लाइसेंस निलंबन से क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण शून्य पैदा हो जाएगा, जिसका हमारे नागरिकों की भलाई पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
अपनी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के साथ यह अस्पताल एक महत्वपूर्ण नियोक्ता के रूप में भी कार्य करता रहा है। इस संस्थान से करीब 450 समर्पित कर्मचारियों के साथ हजारों अन्य लोग जुड़े हैं। इन सबकी आजीविका इस संस्थान के निरंतर संचालन पर निर्भर करती है। संस्थान के लाइसेंस निलंबन से न केवल स्वास्थ्य सेवा पहुंच खतरे में पड़ गई है, बल्कि इससे जुड़े लोगों और उनके परिवारों के जीवन और आजीविका पर भी संकट आ गया है।
इसके अलावा यह अस्पताल सालाना 600 नर्सिंग और 200 पैरामेडिक छात्रों को प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा में सराहनीय भूमिका निभाता है। स्पष्टीकरण का कोई अवसर दिए बिना अस्पताल के लाइसेंस को एकतरफा तौर निलंबित करना चिंता पैदा करता है, क्योंकि यह निर्णय स्वास्थ्य देखभाल पहुंच, आजीविका और शैक्षिक निरंतरता को प्रभावित करता है।
मैं आपसे निलंबन के फैसले पर पुनर्विचार करने, निष्पक्ष जांच शुरू करने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करता हूं, ताकि यह अस्पताल नौकरियों और शैक्षिक अवसरों की सुरक्षा के साथ समाज के लोगों को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना जारी रख सके। ऐसा करके हम सामूहिक रूप से न्याय, निष्पक्षता और उन लोगों की समग्र भलाई को प्राथमिकता दे सकते हैं, जो अपनी स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं के लिए इस पर निर्भर हैं। साथ ही इससे संजय गांधी अस्पताल की प्रतिष्ठित ऐतिहासिक विरासत का भी संरक्षण होगा।
पथरी का ऑपरेशन करने गई थी महिला, दे दिया ओवरडोज का इंजेक्शन
14 सिंतबर को पथरी के ऑपरेशन कराने के लिए अनुज शुक्ला ने पत्नी दिव्या शुक्ला को अमेठी PGI में भर्ती कराया था। 15 सितंबर को ऑपरेशन के लिए एनेस्थीसिया देना था, लेकिन ओवरडोज देने की वजह से पत्नी कोमा में चली गई थी। 16 सितंबर को घरवाले उसको लखनऊ के मेदांता लेकर पहुंचे थे। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। इस मामले में मुंशीगंज थाने में अस्पताल के CEO समेत तीन डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया था। जांच में अस्पताल प्रशासन दोषी पाया गया था। इसके बाद ब्रजेश पाठक ने अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था।