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क्या है चाबहार प्रोजक्ट?
भारत ईरान के चाबहार बंदरगाह का निर्माण कर रहा है। इस बंदरगाह के निर्माण होने से भारत-ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार करना बहुत ही आसान हो जाएगा। इस बंदरगाह का निर्माण हिंद महासागर पर ईरान के सीस्तान बेसिन और ब्लूचिस्तान प्रांत में किया जा रहा है। भारत द्वारा ईरान के चाबहार में बंदरगाह को विकसित करना चीन की ओर से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को विकसित करने के परिणाम के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल चीन भारत को घेरने के लिए पाकिस्तान की मदद करते हुए ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है। लिहाजा भारत अपनी आर्थिक मजबूती को बढ़ाने के लिए ईरान के चाबहार पर बंदरगाह को विकसित कर रहा है। इस बंदरगाह के निर्माण के बाद भारत के पश्चिमी तट से कुछ ही समय में ईरान पहुंचना आसान हो जाएगा।
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2018 में ईरान पर लगा था प्रतिबंध
अमरीका ने 2018 में ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए थे। यह प्रतिबंध 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौते से बाहर निकलने के बाद अमरीका ने लगाया था। अमरीका ने उस दौरान ईरान से तेल आयात करने वाले देशों पर भी कुछ प्रतिबंध लगाए थे हालांकि कुछ देशों को इससे छूट दी गई थी, जिसमें भारत, चीन, ग्रीस, इटली, ताइवान , जापान , तुर्की और दक्षिण कोरिया शामिल थे। अब यह छूट की सीमा 2 मई को खत्म हो रही है। लिहाजा इस बात की चिंता जताई जा रही थी कि चाबहार प्रॉजेक्ट पर अमरीकी प्रतिबंधों का असर पड़ सकता है, लेकिन अमरीका ने साफ कर दिया कि इस ईरान पर लगे प्रतिबंध का असर चाबहार के विकास पर नहीं पड़ेगा।
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भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है ईरान
बता दें कि भारत ईरान, सऊदी अरब और ईराक से कच्चा तेल आयात करता है। भारत सबसे अधिक तेल का आयात ईराक, फिर सऊदी अरब और उसके बाद ईरान से करता है। ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। यदि 2017 अप्रैल से जनवरी 2018 की बात करें तो ईरान ने भारत को 1.84 करोड़ टन कच्चा तेल निर्यात किया। भारत अपनी तेल जरूरतों का 80 प्रतिशत आयात ईरान से करता है।
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