एलन मस्क ने कहा अमेरिका को आगे बढ़ाने के लिए बाहर के लोगों की जरूरत
सोशल मीडिया प्लोटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए एलन मस्क (Elon Musk on H-1B Visa) ने तकनीक के क्षेत्र में अमेरिका को आगे बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी में दक्ष लोगों को अमेरिका में बुलाने पर जोर दिया है। उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका में इतने प्रतिभाशाली लोगों की संख्या बहुत कम है। मस्क ने ये भी कहा कि वे कानूनी तौर पर जो इमिग्रेशन पॉलिसी है उसके आधार पर ही टॉप 0.1% लोगों को अमेरिका में लाने की बात कह रहे हैं। इसी बात को विवेक रामास्वामी ने भी दोहराया। रामास्वामी (Vivek Ramaswamy on H-1B Visa) ने 1990 के दशक के सिटकॉम का उदाहरण पेश किया और कहा कि अमेरिका का कल्चर उत्कृष्टता को छोड़कर सिर्फ औसत दर्जे को महत्व देता है। ये सब कॉलेज में शुरू नहीं होता। ये तो युवावस्था से ही शुरू हो जाता है।
यानी मस्क और रामास्वामी दोनों ने बाहर से कुशल कामगारों को अमेरिका में बुलाने की वकालत की है। लेकिन ट्रंप के इन भरोसेमंद खिलाड़ियों का रुख ट्रंप के ही कई समर्थकों को रास नहीं आया। इनमें निक्की हेली समेत कांग्रेस के सदस्य और पूर्व सदस्य शामिल हैं। ये लोग आव्रजन नीति के खिलाफ हैं और बाहर से अमेरिका आने वाले लोगों की संख्या को कम से कम करना चाहते हैं।
ट्रंप के समर्थकों ने मस्क और रामास्वामी के रुख का किया विरोध
एलन मस्क और विवेक रामास्वामी के इस रुख पर संयुक्त राष्ट्र की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि अमेरिका के कामगारों और अमेरिका के कल्चर में कुछ भी गलत नहीं है। आपको सीमा पर देखना है कि लोग अमेरिका को कितना चाहते हैं। हमें अमेरिकिय़ों में ही निवेश करना चाहिए और अमेरिका फर्स्ट के तहत अमेरिकी लोगों को ही काम में प्राथमिकता देनी चाहिए ना कि विदेश कामगारों को।
क्या है आव्रजन नीति और H-1B Visa
दरअसल अमेरिका का H-1B वीजा विदेशी कुशल कामगारों के लिए है। ये वीज़ा अत्यधिक कुशल विदेशी कमगारों को अमेरिका में आने की परमिशन देता है। इस वीज़ा के समर्थकों का कहना है कि इससे अमेरिका के ही विकास में योगदान मिलेगा लेकिन इसके आलोचकों का कहना है कि इससे अमेरिका विदेशी श्रमिकों पर ही निर्भर रह जाएगा और अमेरिका के नागरिकों के लिए अवसर कम से कम हो जाएंगे।
डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में रहा था विवाद
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी H-1B वीजा का मुद्दा अमेरिका और भारत समेत कई देशों में गहराया था। 2016 में ट्रंप ने इस कार्यक्रम की निंदा भी की थी। तब कहा गया था कि कंपनियां अमेरिकी कामगारों की जगह कम वेतन वाले बाहर के कर्मचारियों को रख रही थीँ। इसके बाद कोरोना महामारी ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया में अपना कहर ढाया तब 2020 इसके और नियम कड़े कर दिए गए थे। इस आव्रजन नीति पर डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव से पहले जनवरी के महीने में एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में कहा भी था कि वे जो करना चाहते हैं वो करेंगे और करके रहेंगे। विदेशी कामगारों को लेकर उन्होंने कहा था कि अगर कोई कॉलेज से निकला ग्रेजुएट है, तो डिप्लोमा के हिस्से के तौर पर अमेरिका में रहने लायक होने के लिए अपने आप ही ग्रीन कार्ड मिल जाना चाहिए।
मस्क और रामास्वामी को मिला समर्थन
गौरतलब है कि विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में बुलाने की बात पर कई नेताओं ने मस्क और रामास्वामी का समर्थन भी किया है। अमेरिका के प्रांत कोलोराडो के गवर्नर जेरेड पोलिस ने कहा कि कि ऐसे लाखों अमेरिकी हैं जो बाहर के लोगों की स्थापित कंपनियों में काम करते हैं। जरा सोचिए कि अगर अमेरिका उन प्रवासियों को अपने देश में नहीं आने देता तो आज इतनी बड़ी संख्या में नौकरी के अवसर कहां से आते।
किसका पक्ष लेंगे ट्रंप- बड़ी चुनौती
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक एक तरफ एलन मस्क और विवेक रामास्वामी जैसे लोग अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए दुनिया भर से कुशल लोगों की प्रतिभा का फायदा उठाने की बात कह रहे हैं तो वहीं ट्रंप के दूसरे समर्थक और उनकी MAGA टीम में शामिल लोग अमेरिका के ही श्रम को सबस ऊपर रखने और अप्रवासन को बैन करने पर अड़े हुए हैं। हालांकि अब डोनाल्ड ट्रंप इसमें से किस खेमे का साथ देते हैं वो तो वक्त ही बताएगा लेकिन एलन मस्क का ट्रंप के चारों तरफ जिस तरह प्रभाव बढ़ रहा है वो किसी से छिपा नहीं है। इस पर ट्रंप मस्क का समर्थन भी करते अगर दिख जाते हैं तो ट्रंप को अपने दूसरे समर्थकों को समझाने में खासी मशक्तत करनी पड़ सकती है।