‘कैंसर’ बीमारी का नाम सुनते ही शरीर सिहर उठता है। इसका ऑपरेशन अब अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज में होने लगा है। फिलहाल मौजूद सुविधाओं में ओरल कैंसर की सर्जरी की जा रही है। जबकि ओरल कैंसर सर्जरी के लिए भवन व संसाधन की कमी बनी हुई है। मरीजों को भर्ती करने व इलाज के लिए भवन की आवश्यकता पड़ती है जो कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कैंसर पीडि़तों के लिए नहीं है।
लॉकडाउन में भी 10 ऑपरेशन
लॉकडाउन में भी 10 सफल सर्जरियां की गईं हैं। इनमें से ज्यादातर का इलाज पहले रायपुर में चल रहा था। लॉक डाउन के दौरान जब रायपुर समेत देश व प्रदेश के दूसरे जिलों में कैंसर सर्जरी से इंकार किया जा रहा था, तब मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर के सर्जन डॉक्टर एसपी कुजूर व मैक्सिलोफेशियल डॉक्टर अभिषेक हरीशे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने प्रयासरत थे।
सर्जरी में देर पर बढ़ता है खतरा
डॉक्टर अभिषेक कहते हैं कि ओरल कैंसर (Oral cancer) की सर्जरी में जितनी देरी होती है उतना मरीज को नुकसान होता है। अम्बिकापुर में इलाज होने से आसपास के मरीजों को फायदा होगा। वे जितनी जल्दी हम तक आएंगे उतनी जल्दी उनकी सर्जरी सम्भव होगी। गुरुवार को विश्व कैंसर दिवस पर लगाए गए कैंसर शिविर में चार मरीजों की पहचान की गई है। इन्हें इलाज के लिए बुलाया गया है।
ओटी की कमी से होती है परेशानी
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में फिलहाल 4 ओटी (ऑपेरशन थियेटर) हैं। इनमें से सर्जिकल और ऑर्थो की ओटी पूरी तरह से चालू हैं। बाकी 2 ओटी पूरी तरह से सर्जरी के लिए तैयार नहीं हैं। कैंसर पेशेंट्स के लिए एक अलग ओटी, ओपीडी, वार्ड एवं आईसीयू की आवश्यकता पड़ती है।