राजकुमार पंडो पिता बुधराम पंडो उम्र 22 वर्ष बलरामपुर जिले के रमकोला थाना क्षेत्र के ग्राम बोंगा का रहने वाला था। वह ३ अपै्रल की रात को खाना खाकर अपने चचेरे भाई 16 वर्षीय दिलेश्वर के साथ जमीन में बिस्तर लगाकर सोया था। तभी देर रात उसके दाहिने हाथ के अंगूठे में कुछ काटने का एहसास हुआ।
वह उठकर देखा तो सांप था जो पास में ही रखे लकड़ी के पटरों के अंदर घुस गया। सांप डसने की जानकारी उसने सुबह ५ बजे परिजन को दी। परिजन उसका इलाज कराने की बजाय गांव का सरपंच जो बैगा का भी काम करता है, उससे झाडफ़ूंक कराने लगे। इस दौरान झाडफ़ूंक में एक से डेढ़ घंटा विलंब हो गया।
झाड़-फूंक से ठीक नहीं होने पर परिजन उसे इलाज के लिए बाइक से रेवटी स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे पर बंद पाया गया। इसके बाद उसे इलाज के लिए वाड्रफनगर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
यहां चिकित्सकों ने उसकी स्थिति को गंभीर देखते हुए अबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया। यहां इलाज के दौरान ४ अपै्रल की दोपहर में उसकी मौत हो गई।
समय पर अस्पताल पहुंचते तो बच सकती थी जान
सर्पदंश की जानकारी मिलने पर परिजन अगर उसे लेकर इलाज के लिए सीधे अस्पताल पहुंचते तो उसकी जान बच सकती थी। लेकिन परिजन ने ज्यादा समय झाडफ़ूंक में बिता दिया। झाडफ़ूंक का काम गांव के सरपंच द्वारा ही किया गया था।
समय पर अस्पताल पहुंचते तो बच सकती थी जान
सर्पदंश की जानकारी मिलने पर परिजन अगर उसे लेकर इलाज के लिए सीधे अस्पताल पहुंचते तो उसकी जान बच सकती थी। लेकिन परिजन ने ज्यादा समय झाडफ़ूंक में बिता दिया। झाडफ़ूंक का काम गांव के सरपंच द्वारा ही किया गया था।
वहीं रेवटी स्वास्थ्य केंद्र भी बंद रहने के कारण भी समय पर इलाज नहीं मिल पाया। परिजन ने रेवटी स्वास्थ्य केंद्र बंद रहने पर नाराजगी जताई है। परिजन का कहना है कि अक्सर स्वास्थ्य केंद्र बंद ही रहता है। इससे रात में लोगों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती है।