नगर निगम की ओर से वार्ड नंबर 4, 14 से 16 तक, 23, 27, 29, 32, 34, 35, 36, 38 के अलावा वार्ड 43, 48, 55 व 64 में सड़कें बनाने के लिए टेंडर किए गए थे। किसी कार्य की अवधि डेढ़ माह की थी तो किसी की दो माह की। यानी कम समय में ही ये सड़कें बनाई जानी थीं लेकिन काम अब तक अटका हुआ है। पार्षदों का कहना है कि काफी प्रयास के बाद सड़कों के प्रस्ताव पास करवाए गए थे। यदि ये चुनाव से पहले बनती तो जनता को फायदा होगा। टूटी सड़कों से उड़ने वाली धूल के कारण स्मॉग आदि में बढ़ोत्तरी नहीं होती।
एक पार्षद का कहना है कि एक ही ठेकेदार को कई सड़कों के ठेके मिले हैं। वह समय पर नहीं कर पाया। उस ठेकेदार की फर्म पर मार्च में भी कार्रवाई हुई थी लेकिन उसी ठेकेदार को आगे बढ़ाया जा रहा है। पार्षदों का कहना है कि नगर निगम को ऐसे ठेकेदारों को पूरी तरह काली सूची में डालना चाहिए। साथ ही फर्म बदलकर नए ठेके लेने की प्रथा में चलने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए। मालूम हो कि प्रदेश सरकार ने बजट घोषणा के तहत पीडब्ल्यूडी को जिन सड़कों का जिम्मा दिया था वह लगभग काम पूरे हो गए। उसी गति से ये काम हों तो जनता को अधिक लाभ मिले। परेशानियों से छुटकारा मिल सकेगा।