सरिस्का के बफर एरिया सिलीसेढ़ में चल रहे होटलों को बंद करने के लिए यूआईटी ने 25 दिन पहले नोटिस दिए थे, लेकिन अब तक एक पर भी कार्रवाई सामने नहीं आई। बताया जा रहा है कि एनजीटी व सीईसी को जवाब देना था, ऐसे में अफसरों ने अपने बचाव के लिए नोटिस जारी किए। अब अफसर कह रहे हैं कि कुछ के कोर्ट केस चल रहे हैं तो कुछ के पास एमएसएमई के प्रमाण पत्र हैं।
सेंट्रल एपावर्ड कमेटी के पास सिलीसेढ़ के कुछ होटलों के नाम पहुंचे थे, जो बफर एरिया में चल रहे थे। इन होटलों पर कार्रवाई के लिए यूआईटी ने 26 दिसंबर को नोटिस जारी किए। लिखा गया कि भू-रूपांतरण नहीं करवाया गया है। कृषि भूमि पर कॉमर्शियल गतिविधियां नहीं चल सकती हैं। ऐसे में अतिक्रमण खुद हटा लें, अन्यथा 7 दिन में यूआईटी खुद अतिक्रमण हटाएगी। साथ ही अतिक्रमण हटाने के लिए खर्च भी देना होगा।
नोटिस को दिए 25 दिन हो गए, लेकिन यूआईटी ने एक कदम आगे नहीं बढ़ाया। अब यह मामला फिर से सीईसी को जा रहा है। एनजीटी में याचिका दायर करने वाले राजेंद्र तिवारी का कहना है कि जिला प्रशासन को सीधे कटघरे में खड़ा किया जाएगा। अफसरों की मिलीभगत से ही यह कार्रवाई नहीं हो रही। एनजीटी में भी प्रशासन की ओर से करवाए गए होटलों के सर्वे की रिपोर्ट सब्मिट कर दी गई है। जल्द ही एनजीटी के आदेश जारी होंगे।
कुछ होटलों के कोर्ट केस चल रहे हैं तो कुछ के पास एमएसएमई के प्रमाण पत्र हैं, फिर भी दस्तावेजों की जांच चल रही है। – स्नेहल नाना, सचिव, नगर विकास न्यास, अलवर
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