प्रस्ताव 3 साल से घूम रहा
सरिस्का एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव 3 साल से घूम रहा है, लेकिन अब तक धरातल पर नहीं आ पाया था। पीडब्ल्यूडी की एनएच विंग ने पहली डीपीआर तैयार की, जिसमें खर्च 2400 करोड़ रुपए आ रहा था। सरकार ने संबंधित अफसरों से पूछा कि इतनी रकम लगाकर जनता को क्या लाभ होगा ? इसका जवाब अफसर नहीं दे पाए। इसके बाद संशोधित डीपीआर पर काम हुआ लेकिन वह भी काम नहीं आई। अब अलाइनमेंट नया तैयार हुआ है। जिसमें दो रूट तय किए गए हैं। यह प्रस्ताव प्रदेश सरकार के जरिए केंद्र सरकार को भेजा गया है।यह भी पढ़ें:
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ये दो रुट हो सकते हैं
पहला- अलवर से नटनी का बारां होते हुए कुशालगढ़ और वहां से तालवृक्ष होते हुए थानागाजी तिराहे आएगा। उसके बाद आगे जयपुर मार्ग जाएगा। इस रूट से 10 किमी का रास्ता कुशालगढ़ से तालवृक्ष तक बढ़ेगा। कुल रोड की लंबाई 32 किमी होगी, लेकिन यह एनएच रूट है। आसानी से बनाया जा सकेगा। रोड फोरलेन होगा तो 10 किमी की दूरी 6 मिनट में तय हो जाएगी। खर्च भी करीब 1400 करोड़ आएगा। वन्यजीव नीचे से निकल सकेंगे। यह मार्ग पूरी तरह खंभों पर खड़ा नहीं होगा। जानवरों के निकलने के लिए रास्ते बनाए जाएंगे।दूसरा- अलवर से नटनी का बारां होते हुए कुशालगढ़ तक और वहां से भर्तृहरि धाम होते हुए थानागाजी तक एलिवेटेड रोड निकाला जा सकता है। यह पुराने रोड के ऊपर से फोरलेन बनेगा। इसकी लागत करीब 2400 करोड़ आएगी। इसकी लंबाई अलवर से थानागाजी तक 22 किमी है। पूरा रोड एलिवेटेड होगा। यानी खंभों पर खड़ा होगा।
अलवर से तालवृक्ष रूट की ये खासियत
32 किमी लंबे इस मार्ग पर किसानों की जमीन काफी कम आएगी।यह पूरा मार्ग दो लेन की जगह चार लेन का बनेगा। अलवर से नटनी का बारां तक का मार्ग चौड़ा होगा।
नटनी का बारां से थानागाजी तक के मार्ग की दूरी 22 किमी होगी, जिसमें 7 किमी ओपनिंग एरिया होगा, जिससे वन्यजीव नीचे से निकल सकेंगे। बाकी 15 किमी रोड जमीन पर होगा। हालांकि इसकी ऊंचाई दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे की तरह होगी, जिस पर वन्यजीव नहीं आ पाएंगे।
हर 700 मीटर पर वन्यजीवों के लिए 300 मीटर का एरिया छोड़ा जाएगा, जिससे वन्यजीव निकलेंगे।
अगले माह तक इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई तो यह ढाई साल में तैयार हो जाएगा।
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