दरअसल, अलवर जिले का राजगढ़ कस्बा सरिस्का से सटा हुआ है। ऐसे में जानकार मानते हैं कि राजगढ़ जंगल को सरिस्का में शामिल कर दिया जाएं। अगर ऐसा होता है तो करीब 50 वर्ग किमी का एरिया बढ़ जाएगा। जहां कई टाइगर अपनी टेरेटरी बना सकेंगे। ये जंगल अलवर वन विभाग के अधीन है। इसका एरिया 50 वर्ग किमी से ज्यादा है।
सरिस्का में अभी 43 टाइगर
बता दें कि सरिस्का में अभी 43 टाइगर हैं। अच्छी बात ये है कि पिछले करीब दो साल में टाइगर की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। यहां से जल्द ही नए शावक के जन्म लेने की खबर आ सकती है। सरिस्का टाइगर रिजर्व के अधिकारियों की मानें तो सरिस्का में टाइगर की संख्या तेजी से बढ़ने की संभावना है, क्योंकि सरिस्का का जंगल टाइगर को खूब रास आ रहा है। 2005 में खत्म हो गए थे बाघ
गौरतलब है कि सरिस्का टाइगर रिजर्व में साल 2005 में बाघों की संख्या जीरो हो गई थी। वन विभाग के आंकड़ों की मानें तो यहां बीमारी और शिकारियों के कारण टाइगर खत्म हुए थे। ऐसे में साल 2008 में फिर से सरिस्का में टाइगर बसाने की कवायद शुरू की गई। साथ ही शिकारियों पर भी वन विभाग ने काफी हद तक नकेल कसी। जिसका नजीता भी अच्छा निकलकर सामने आया औ अब यहां कुल 43 टाइगर हैं।