डॉक्टर को दिखाएं दवा: किसी भी अस्पताल में जांच के लिए जाने वाले मरीज को खुद डॉक्टर भी अक्सर दवा खरीदने के बाद उन्हें फिर से दिखाने की सलाह देते हैं। डॉक्टर की लिखी पर्ची वाली दवा दुकान पर नहीं होने द्यह्य मरीज को एक जैसी दवा होने की बात कहकर थमा देते हैं।
मिलीभगत का चल रहा खेल : दूसरों के लाइसेंस पर संचालित मेडिकल संचालकों व विभागीय अधिकारियों का आपसी मिलीभगत का खेल चल रहा है। जिसमें किसी के द्वारा शिकायत करने पर कार्रवाई के लिए तो आते है लेकिन यहां आकर मिलीभगत कर जेब गर्म कर बिना कार्रवाई के ही लौट रहे हैं। जिसमें मेडिकल संचालक व अधिकारी दोनों ही आमजन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
दुकान में फार्मासिस्ट का होना जरूरी: चिकित्सा क्षेत्र के जानकारों की माने तो दवाओं की दुकानों में फार्मासिस्ट का होना काफी जरुरी होता है। केमिकल और बॉन्ड की जानकारी सिर्फ फार्मासिस्ट को होती है। दवाओं को देने के साथ फार्मासिस्ट मरीजों को दवा खाने का सही तरीका और दवाओं के बीच में समय के अंतर की जानकारी भी देता है।
कोई अपना लाइसेंस किराए पर नहीं दे सकता। किराए पर देने का कोई नियम नहीं है। उपखंड क्षेत्र में जांच अभियान चलाकर मेडिकल स्टोर के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। वही शिकायत दर्ज होने पर जयपुर से आदेश लेकर कार्रवाई की
जाती है।
गजानंद, ड्रग इंस्पेक्टर अलवर